दिव्य ख़ज़ानों का उपयोग करें

आज 63वें ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस ऑनलाइन सत्संग में, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने समझाया कि हमें उन दिव्य ख़ज़ानों का उपयोग करना चाहिए जो प्रभु ने हमें दिए हैं। जब हम इस मानव चोले में आते हैं, तो हमें अद्वितीय ख़ज़ाने बख़्शे जाते हैं। इस मानव चोले में आने की अनुपम देन के साथ-साथ, प्रभु ने हमें यह अमूल्य ख़ज़ाना भी दिया है कि इस मानव शरीर में रहते हुए हम प्रभु का अनुभव कर सकते हैं और उनके साथ जुड़ सकते हैं।
हम में से हरेक को सही और गलत में, सत्य और असत्य में, फ़र्क करने की विवेक-शक्ति दी गई है, ताकि हम प्रभु-प्राप्ति के मार्ग पर चल सकें। हमें वो सब पदार्थ भी दिए गए हैं जो अपने सच्चे स्वरूप को जानने के लिए हमें चाहियें, ताकि हम अनुभव कर सकें कि हम इस भौतिक शरीर से अधिक भी कुछ हैं। ऐसा अनुभव करने का तरीका प्रभु ने हमें प्रदान किया हुआ है। यह प्रक्रिया, जिसमें हम अपने शरीर व मन को शांत करके अपनी आत्मा का अनुभव करते हैं, ध्यानाभ्यास कहलाती है। ध्यानाभ्यास के द्वारा हम प्रभु के प्रेम व प्रकाश का अनुभव कर सकते हैं, तथा उन दिव्य ख़ज़ानों के साथ जुड़ सकते हैं जो अंतर में हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। हम जीवन के रहस्य को हल कर सकते हैं और उस उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं जिसके लिए हमें यहाँ भेजा गया है। संत-महापुरुष हमें इन ख़ज़ानों की याद दिलाने के लिए आते हैं और हमें समझाते हैं कि हम इन ख़ज़ानों को छुपा और भूला हुआ न रहने दें। इसके बजाय हम शांत अवस्था में बैठने के लिए समय निकालें, ताकि हम प्रभु के प्रेम के साथ जुड़ पायें और आंतरिक ख़ज़ानों का अनुभव कर सकें।