अपनी माँओं से सीख लेना: मदर्स डे का सत्संग

मई 9, 2021

मई के दूसरे रविवार को, जिस दिन दुनिया भर में मदर्स डे (माँ दिवस) मनाया जाता है, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अपने सत्संग में माँ के प्रेम पर चर्चा की। मदर्स डे, महाराज जी ने फ़र्माया, के दिन हम सब अपनी माँओं को धन्यवाद देते हैं, जो हमारे जीवन में प्रेम और मिठास लाती हैं।

हमारी माँ हमारी पहली शिक्षिका, हमारी पहली संरक्षक, हमारी पहली मार्गदर्शिका, होती है। वो हमें दुनिया में जीना सिखाती है और हमें संसार में तरक्की करने के लिए प्रेरित करती है। माँ की गोद में आकर हम सारे दुख-तकलीफ़ें भूल जाते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया। एक माँ अपने बच्चों से और अपने परिवार से बेहद प्रेम करती है, तथा अपने बच्चों के लिए अपने सभी सुखों और ख़ुशियों का त्याग करने के लिए तैयार रहती है। उनके इसी प्रेम और त्याग को हम मदर्स डे के दिन सम्मानित करते हैं।

एक माँ के अपने बच्चे के लिए प्रेम के बारे में आगे बताते हुए महाराज जी ने समझाया कि हमें अपनी माँ के प्रेम की तरह ही अपने जीवन में भी प्रेम को धारण करना चाहिए, तभी हम अपने जीवन को सही तरीके से जी पायेंगे। हमें सबको अपना ही मानकर गले से लगा लेना चाहिए, और सभी को अपनी बहन, या भाई, या माता, या पिता, या संतान ही समझना चाहिए। जिस तरह माँ हमारे जीवन में मिठास लाती है, उसी तरह हमें भी अपने आसपास के लोगों के जीवन में मिठास लानी चाहिए। जिस तरह निराशा के समय माँ के प्यार भरे शब्द हमें सहारा देते हैं, उसी तरह हमें भी दूसरों के साथ प्यार भरे शब्द बोलने चाहियें, और हमारे कार्य ऐसे होने चाहियें जो दूसरों को आराम व सांत्वना पहुँचायें। जिस तरह माँ हमेशा अपने बच्चों को प्रेरित करती है, उसी तरह हमें भी दूसरों की सराहना करनी चाहिए और हमेशा सकारात्मकता की ओर ध्यान देना चाहिए, तथा जीवन से गुज़रते हुए एक-दूसरे को प्रेरित करते रहना चाहिए।

हमें दूसरों के कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए, और हमारा जीवन दूसरों की सेवा व सहायता के लिए समर्पित होना चाहिए। हमें प्रभु की दी हुई देनों का इस्तेमाल कर दूसरों की सहायता करनी चाहिए, और इस ग्रह पर सभी के जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए, यह जानते हुए कि हम सब प्रभु के एक ही परिवार के सदस्य हैं। हमें अपने दिलों को बड़ा करना चाहिए ताकि उसमें से समस्त नफ़रत और पूर्वाग्रह धुल जायें। हमें सबके साथ करुणापूर्ण व्यवहार करना चाहिए और किसी को तकलीफ़ नहीं पहुँचानी चाहिए। जब हम इस तरीके से अपना जीवन जीने लगते हैं, तो हम प्रभु की ओर यात्रा करने के लिए तैयार हो जाते हैं, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया। प्रभु की बनाई सृष्टि का प्रेम ही हमें प्रभु की ओर ले जाता है। और जब हम ध्यानाभ्यास के द्वारा प्रभु के साथ अपने संबंध का अनुभव कर लेते हैं, तो दूसरों के प्रति हमारा प्रेम भी बढ़ता चला जाता है। सबसे प्रेम करने से हमारा जीवन प्रेम, सौहार्द, और ख़ुशियों से भरपूर हो जाता है। इस मदर्स डे पर हमें अपनी माता के साथ अपने संबंध को समझना चाहिए, और उसके ज़रिये प्रभु के साथ अपने संबंध को समझना चाहिए। हमें ध्यानाभ्यास के द्वारा प्रभु के साथ अपने संबंध को मज़बूत बनाना चाहिए, ताकि हम अपने जीवन के परम उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा सकें।