अंदरूनी अंतरिक्ष की यात्रा में सफलता की कुंजी

19 फरवरी की सुबह NASA का यान, Perseverance, पृथ्वी के पड़ोसी ग्रह, मंगल, पर उतरा। बाहरी अंतरिक्ष की खोज में उत्तरी अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी, NASA द्वारा हासिल की गई सफलता का उदाहरण लेते हुए, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने समझाया कि हम अंदरूनी अंतरिक्ष की यात्रा में सफलता कैसे प्राप्त कर सकते हैं। सबसे पहले तो किसी भी कार्य को करने से पहले यह जानना ज़रूरी है कि हमारा उद्देश्य क्या है। आध्यात्मिक मार्ग पर हमारा उद्देश्य है स्वयं को आत्मा के रूप में जानना, तथा उसके बाद अपनी आत्मा का मिलाप परमात्मा में करवाना।
दूसरी बात, हमें पहले से स्थापित ज्ञान से मदद लेनी चाहिए। आध्यात्मिक क्षेत्र में, हमें अतीत में आए संतों-महापुरुषों के ज्ञान और अनुभवों से लाभ उठाना चाहिए, कि उन्होंने प्रभु को कैसे प्राप्त किया। वे सब मौन अवस्था में बैठे और बाहरी संसार की हलचल से ध्यान हटाकर, अपने ध्यान को अंतर में एकाग्र किया। यह तकनीक, जिसे हम ध्यानाभ्यास कहते हैं, जिज्ञासु को प्रभु तक ले जाने के लिए प्रमाणित है, और हमें भी अपने उद्देश्य को पाने के लिए इसी तकनीक का प्रयोग करना चाहिए।
तीसरी बात, हमारे अंदर अपने आध्यात्मिक लक्ष्य तक पहुँचने की गहरी इच्छा व लगन होनी चाहिए। चौथी बात, हमें उन चीज़ों की ओर ध्यान एकाग्र करना चाहिए जो अपने आध्यात्मिक लक्ष्य तक पहुँचने के लिए हमें चाहियें। पाँचवी चीज़, हमें दृढ़निश्चयी होना चाहिए। हमें बिना रुके, लगातार, असफलता और निराशा का सामना करते हुए भी, ध्यानाभ्यास करते रहना चाहिए, तथा रोज़ाना अपनी तकनीक पर काम करते हुए उसे सुधारते जाना चाहिए। प्रभु को जानना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, महाराज जी ने फ़र्माया, और हम में से हरेक प्रभु का अनुभव कर सकता है अगर हम सही दिशा में अपना ध्यान लगायें।