प्रभु सब जगह मौजूद हैं
आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने 20वें ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस कार्यक्रम की अध्यक्षता की, जिसमें दुनिया भर के आध्यात्मिक तरक्की के इच्छुक दिलों ने भाग लिया। महाराज जी के सत्संग का विषय था प्रभु की सर्वव्यापकता और जीवन में प्रभु को अनुभव करने के लिए हमें क्या कदम उठाने चाहियें।
यह इंसानी प्रवृत्ति है, महाराज जी ने फ़र्माया, कि हम जीवन में अपेक्षाएँ रखते हैं। ये अपेक्षाएँ अक्सर हमारे अपने अनुभवों से प्रभावित होती हैं, और ये प्रभु के साथ हमारे रिश्ते पर भी असर डालती हैं। अपने अनुभवों के आधार पर, हम उस असीम सत्ता को किसी ख़ास आकार में सीमित कर देते हैं। हम प्रभु के साथ अपने रिश्ते को लेकर, तथा हम प्रभु से कैसे और कब मिलना चाहते हैं को लेकर, कुछ अपेक्षाएँ रखते हैं। अपने आसपास मौजूद प्रभु के अनेकों रूपों का ज़िक्र करते हुए महाराज जी ने समझाया कि प्रभु किसी भी रूप में हमारे पास आ सकते हैं, क्योंकि प्रभु सब जगह मौजूद हैं। प्रभु को अनुभव करने का तरीका है एक खाली प्याला बन जाना, जो अहंकार और अपेक्षाओं से बिल्कुल खाली हो। हमें इस बात को लेकर तैयार होना चाहिए कि प्रभु किसी भी रूप में हमारे पास आ सकते हैं।
प्रभु का अनुभव करने के लिए हमें यह महसूस करना होगा कि प्रभु एक ताकत हैं, और वो किसी भी शारीरिक आकार में बँधे हुए या सीमित नहीं हैं। आध्यात्मिक मार्ग पर ध्यानाभ्यास का परम महत्त्व है , संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया, क्योंकि ध्यानाभ्यास के द्वारा ही हम प्रभु का सीधा अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। जब हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में जाते हैं, तो हम प्रभु की ज्योति के साथ जुड़ जाते हैं, जो हमें प्रभु के धाम वापस ले जाती है। ध्यानाभ्यास के द्वारा हमारा दृष्टिकोण स्पष्ट हो जाता है और हम अपने सच्चे स्वरूप को पहचान जाते हैं, तथा हम जान जाते हैं कि हम किस उद्देश्य से यहाँ आए हैं। इसी के साथ, महाराज जी ने विशाल वैश्विक श्रोता-समूह को ध्यान में बैठा दिया।