दिल्ली में कार्यक्रम: “ध्यानाभ्यास के द्वारा प्रभु के प्रेम का अनुभव करें”

फ़रवरी 23, 2020

कृपाल बाग़ में अपने सत्संग के दौरान संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने इंसानी दशा के बारे में बताया और समझाया कि जीवन जीने का कौन सा तरीका हमें प्रभु-प्राप्ति के अपने लक्ष्य तक पहुँचा सकता है।

 

महाराज जी ने समझाया कि जीवन भर हम भूलवश बाहरी अस्थाई संसार में ही स्थाई ख़ुशियाँ ढूंढते रहते हैं। हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद हम इस खोज में असफल रहते हैं, और परिणामस्वरूप जीवन से ही निराश हो जाते हैं। इसका दोषी है हमारा अहंकार, महाराज जी ने फ़र्माया। अहंकार के कारण ही हम ख़ुद को दूसरों से अलग समझते रहते हैं, और इसीलिए हम दूसरों के साथ एक होड़ सी करते रहते हैं, और उन्हें पछाड़ने की कोशिश में लगे रहते हैं। हम द्वैत का जीवन जीते रहते हैं, जो दुख को पीड़ा को जन्म देता है।

 

संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया कि हम प्रभु को द्वैत में नहीं पा सकते। प्रभु को पाने के लिए हमें उनके साथ एक होना होगा। जब हमारी आत्मा ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में प्रभु के सच्चे प्रेम का अनुभव कर लेती है, तो वो प्रभु के साथ एकमेक हो जाती है। प्रभु ने हमें इस मानव चोले में आने के लिए चुना है, और प्रभु को जानना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। हमें केवल सही दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।