जहाँ हम हैं, वहीं घास हरी है

दिसम्बर 19, 2021

हम सब सोचते हैं कि हमारा जीवन बहुत मुश्किल है और सिर्फ़ हमको ही एक के बाद एक तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है। हम अपने हालातों का रोना रोते रहते हैं और अपनी परिस्थितियों में बेहतरी चाहते हैं, और अक्सर दूसरों के जूतों में खुद को पाना चाहते हैं। यह समझना ज़रूरी है, महाराज जी ने फ़र्माया, कि हम प्रभु की बनाई सृष्टि में रहते हैं, इसीलिए हमारे साथ जो कुछ भी होता है वो प्रभु की रज़ा से ही होता है। प्रभु हमारा अतीत, वर्तमान, और भविष्य, सब जानते हैं, तथा जो कुछ भी हमारे साथ हो रहा है, वही हमारे लिए सबसे बेहतर है। तो हम एक ऐसी अवस्था में कैसे पहुँच सकते हैं जहाँ हम अपने जीवन से संतुष्ट हों?

संतोष तब आता है जब हम अपनी वर्तमान परिस्थितियों से खुश हों। ऐसा तब होता है जब हमें यह विश्वास हो कि हमारी परिस्थिति वो सबसे बेहतर परिस्थिति है जिसमें हम हो सकते हैं, और यह कि हमारी वर्तमान परिस्थिति प्रभु की रज़ा के मुताबिक ही है। इस बात में पूर्ण विश्वास होने के लिए कि प्रभु हमारा ख़याल रख रहे हैं, हमारा प्रभु के साथ कुछ संपर्क होना ज़रूरी है। हम में से अधिकतर लोग प्रभु से प्रार्थना के ज़रिये संपर्क करते हैं। लेकिन हमें कैसे पता चले कि हमारी प्रार्थनाएँ सुनी जा रही हैं या नहीं? जब हमें प्रभु का सीधा अनुभव प्राप्त होता है, तभी हम निश्चित रूप से जान पाते हैं कि प्रभु हर समय हमारे साथ रहते हैं। प्रभु का यह सीधा अनुभव तब प्राप्त होता है जब हम बाहरी संसार से ध्यान हटाकर, उसे ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में एकाग्र करते हैं।

आंतरिक आध्यात्मिक यात्रा पर जाने से हमारी आत्मा प्रभु के प्रकाश व प्रेम के साथ जुड़ जाती है। जब हम प्रभु-प्रेम का अनुभव कर लेते हैं, तो हम केवल प्रभु में विश्वास ही नहीं करते हैं बल्कि प्रभु में हमारा भरोसा बहुत दृढ़ हो जाता है। तब हम अपनी वर्तमान परिस्थितियों में संतोष और परिपूर्णता अनुभव करना शुरू कर देते हैं, यह जानते हुए कि सबकुछ प्रभु की रज़ा में हो रहा है। प्रभु-प्रेम के संपर्क में आने से हमारा जीवन खूबसूरत हो जाता है। जब हमारा रवैया सकारात्मक हो जाता है और हम जीवन वैसे जीने लगते हैं जैसे कि जीना चाहिए, तो हम जान जाते हैं कि हमारे पैरों तले की घास हमेशा से ही हरी थी।