पृथ्वी दिवस 2020 पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

संपूर्ण विश्व में मनाए जाने वाले पृथ्वी दिवस की 50वीं वर्षगांठ पर, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने पर्यावरण, संरक्षण, और अपने वातावरण के साथ संतुलन बनाकर जीने पर सत्संग फ़र्माया।
प्रभु ने इस ग्रह पर जीवन को सुनिश्चित करने के लिए कुछ ख़ास प्रक्रियाएँ बनाई हुई हैं, महाराज जी ने समझाया। इसके लिए महाराज जी ने इंसानों और पेड़-पौधों के आपसी संबंध का उदाहरण दिया, जो दोनों के जीवन के लिए आवश्यक है। प्रकृति के चक्रों का संतुलन यह सुनिश्चित करता है कि प्रभु के द्वारा बनाए गए सभी जीव मिल-जुलकर रह सकें। इस संतुलन के कारण ही इस धरती पर जीवन चला आ रहा है। लेकिन हम इंसानों ने प्रकृति के ख़ज़ानों का ज़िम्मेदारी के साथ संरक्षण नहीं किया है। हमें अपने वातावरण के साथ संतुलन और सौहार्द में रहना सीखना चाहिए, तथा प्राकृतिक संसाधनों को प्यार और समझदारी से एक-दसरे के साथ बाँटना चाहिए, उन्होंने फ़र्माया।
यह वैश्विक महामारी जिसके कारण हम सबकी जीवन-पद्धति ही बदल गई है, इसने हमें जीवन की आपसी संबद्धता भी दर्शाई है, महाराज जी ने आगे फ़र्माया। इसने दर्शाया है कि दुनिया के एक कोने में होने वाली क्रियाओं का असर दुनिया के दूसरे कोने पर भी पड़ सकता है। इसी संबद्धता को हम आत्मा के स्तर पर भी अनुभव कर सकते हैं, महाराज जी ने समझाया, क्योंकि आत्मिक रूप से हम सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इस संबद्धता को हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अनुभव कर सकते हैं।
अगर हमें धरती का सम्मान करना है और पृथ्वी दिवस को सही तरीके से मनाना है, महाराज जी ने फ़र्माया, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम प्रकृति से जो कुछ भी लें, उसकी दोबारा बहाली और भरपाई अवश्य कर दें, न केवल अपने लिए, अपने बच्चों के लिए, अपने नाती-पोतों के लिए, बल्कि आने वाली सभी पीढ़ियों के लिए। हमें प्रभु की बनाई सृष्टि की एकता को जानना होगा और गले से लगाना होगा, तथा अपने ग्रह की प्यार से देखभाल करनी होगी, क्योंकि कुछ देने से ही हम कुछ पाते हैं। इस एकता को हम तब पहचानना शुरू करते हैं जब हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अपने अंतर में जाते हैं।