हम अपने पर काबू कैसे पायें: लाइल के अंतर्राष्ट्रीय ध्यानाभ्यास केंद्र में कार्यक्रम

जनवरी 18, 2020

इस शाम, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने क्रोध की प्रकृति के बारे में समझाया और बताया कि हम कैसे क्रोध पर काबू पा सकते हैं। क्रोध, उन्होंने समझाया, हमारे अंदर मौजूद एक अनैच्छिक प्रक्रिया है जो मन से उत्पन्न होती है। अपने अहंकार के कारण हम चाहते हैं कि चीज़ें हमेशा हमारी इच्छानुसार ही हों, और जब वो नहीं होतीं हैं तो हमारा मन गुस्से से प्रतिक्रिया करता है।

 

हालाँकि हम शायद सोचते हैं कि क्रोध से स्थिति बदल जाती है या हम सामने वाले का ध्यान अपनी ओर खींच पाते हैं, लेकिन सच तो यह है कि इससे चीज़ें ख़राब ही होती हैं, ख़ासकर अगर हमारे गुस्से के बदले सामने से भी गुस्सा आए। परंतु हमारे लिए अपने क्रोध पर काबू पाना मुमकिन है। इसके लिए सबसे पहले तो हमें यह समझना होगा कि क्रोध से किसी भी स्थिति का हल नहीं निकलता है। दूसरी बात, जब कोई व्यक्ति हमसे अलग राय या दृष्टिकोण रखता है, तो हमें उनकी राय के प्रति भी सहनशील होना चाहिए, और उन्हें बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। हम केवल ख़ुद को बदल सकते हैं, दूसरों को नहीं।

 

तीसरी बात, हमें किसी भी स्थिति में बहुत जल्दी से या तुरंत प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए। अक्सर जब हम ऐसा करते हैं, तो हम बात को पूरी तरह से सुने या समझे बिना ही बोलना शुरू कर देते हैं। यहाँ सुनने की कला का महत्त्व सामने आता है, संत राजिन्दर सिंह जी ने समझाया। अगर हम सामने वाले की बात को सुनने की सच्ची और पूरी कोशिश करेंगे, तो शायद इसी से स्थिति ठंडी पड़ जाए, क्योंकि सामने वाले को इस बात की तसल्ली होगी कि उसकी बात पूरी तरह से सुनी गई है। चौथी बात, अगर हमें लगे कि हमें गुस्सा आ रहा है, तो हमें तुरंत रुककर स्वयं को ठंडा करना चाहिए, इससे पहले कि हम कोई प्रतिक्रिया करें। इससे हम अपने गुस्से की आग को शांत कर सकते हैं। साथ ही, अगर हम नियमित रूप से ध्यानाभ्यास करेंगे, तो जीवन को देखने का हमारा दृष्टिकोण ही बदल जाएगा। फिर हम ऐसी स्थितियों को अधिक शांति व प्यार के साथ सुलझा पायेंगे।