बोगोटा में कार्यक्रम: “विश्लेषण करना और आगे की योजना बनाना”
इस दोपहर कोलेजियो सैन्स फ़ैकॉन के ऑडिटोरियम को संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के सत्संग के लिए तैयार किया गया था। साल के इस समय पर, महाराज जी ने फ़र्माया, हम इस बात पर विचार करते हैं कि हमारा पिछला साल कैसा बीता है, और आने वाले साल में हम क्या करना चाहते हैं। आध्यात्मिक पथ के यात्री होने के नाते, यह ज़रूरी है कि हम अपने आध्यात्मिक विकास को प्राथमिकता दें।
हमें अपने आप से और दूसरों से सच बोलना चाहिए, तथा अपने अहंकार को दबाकर नम्रता से जीना चाहिए, तथा दूसरों की सहायता करनी चाहिए। हमें दूसरों की सेवा करनी चाहिए ताकि उनका बोझ कुछ कम हो सके, तथा नैतिक सद्गुणों से भरपूर जीवन जीना चाहिए, उन्होंने समझाया।
हमारे आध्यात्मिक विकास में ध्यानाभ्यास की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए संत राजिन्दर सिंह जी ने समझाया कि जब हमारा ध्यान बाहरी संसार से हटकर आत्मा की बैठक पर एकाग्र हो जाता है, तो हम प्रेम और प्रकाश से भरपूर रूहानी मंडलों में उड़ान भरने लगते हैं, और प्रभु के प्रेम के साथ जुड़ जाते हैं। इसकी कुंजी है ध्यानाभ्यास में नियमित होना। जैसे-जैसे हमारे अनुभव गहरे होते चले जाते हैं, वैसे-वैसे हम अपने आप के प्रति अधिक चेतन होते चले जाते हैं, तथा प्रभु के प्रेम और दया के प्रति अधिक ग्रहणशील होते चले जाते हैं।
जैसे-जैसे हमारी ग्रहणशीलता बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे हम प्रभु की दया को अधिक से अधिक अनुभव करने लगते हैं, और प्रभु की ओर से मिलने वाला आध्यात्मिक उभार हमारी आत्मा की गहराई में पहुँचने लगता है, जिससे हमारे दिल में प्रभु से मिलने की हलचल बढ़ने लगती है, जिससे हम आध्यात्मिक यात्रा पर शीघ्र तरक्की करने लगते हैं। प्रभु की दया को अपने अंदर समाने के लिए हमें एक खुले पात्र की तरह होना चाहिए, और ऐसा तब होता है जब हम अपने जीवन में नैतिक सद्गुणों को ढालते हैं।
सत्संग के बाद महाराज जी की बोगोटा यात्रा की ख़ुशी में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इसी के साथ महाराज जी के चार शहरों की यात्रा में से दो शहरों के कार्यक्रमों का समापन हुआ। कल संत राजिन्दर सिंह जी काली, कोलम्बिया, पहुँच रहे हैं, जहाँ एक अविस्मरणीय नववर्ष कार्यक्रम मनाया जाएगा।