काली, कोलम्बिया, में “ध्यानाभ्यास के द्वारा आत्मा का पोषण”

जनवरी 1, 2020

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने वर्ष 2020 का पहला सत्संग काली, कोलम्बिया, में सेंट्रो दि कॉनबैन्सियोनेस वर्दे अरीना में फ़र्माया। जब महाराज जी ने टेंट में प्रवेश किया, तो हज़ारों की संख्या में उपस्थित श्रोताओं ने हवा में मोमबत्तियाँ लहराते हुए उनका स्वागत किया। अपने सत्संग में मोमबत्तियों की रोशनी का ज़िक्र करते हुए महाराज जी ने सभी को आंतरिक रोशनी की याद दिलाई, प्रभु की वो सच्ची रोशनी जो हमारे भीतर मौजूद है।

 

महाराज जी ने समझाया कि प्रभु, प्रेम के महासागर हैं, और हमारी आत्मा भी प्रभु का अंश होने के नाते प्रेम ही है। लेकिन इस भौतिक संसार में जीते हुए, माया और भ्रम की पर्तों से घिरे हुए, हम अपने सच्चे अस्तित्व को भूल चुके हैं। हम ख़ुद को शरीर ही समझते रहते हैं, और सोचते हैं कि जो कुछ भी हम अपनी भौतिक इंद्रियों से अनुभव कर रहे हैं, जीवन केवल वही है। जब हम आध्यात्मिक यात्रा पर जाते हैं और संतों-महापुरुषों के वचन सुनते हैं, तो हम अपने अस्तित्व की सच्चाई को समझना शुरू कर देते हैं।

 

एक बाग़ीचे का उदाहरण देते हुए महाराज जी ने श्रोताओं को आध्यात्मिक मार्ग के मूलभूत सिद्धांतों के बारे में समझाया। महाराज जी ने समझाया कि अगर हमारी आत्मा को आंतरिक आध्यात्मिक यात्रा पर जाना है, तो हमें अपनी आत्मा को पोषित करना होगा, जिस तरह एक बाग़ीचे में बीज को पोषित करना होता है। सच्चाई, नम्रता, अहिंसा, प्रेमपूर्ण करुणा, और निष्काम सेवा जैसे सद्गुणों से भरपूर नैतिक जीवन वो मिट्टी है जिसकी हमारे आत्मा को आवश्यकता है।

 

साथ ही, जिस तरह हमें बाग़ीचे में मौजूद झाड़-झंखाड़ को निकालना पड़ता है, उसी तरह हमें अहंकार से पैदा होने वाले अवगुणों को भी अपने अंदर से निकाल फेंकना होता है, जो हमारी आत्मा को प्रभु की ओर बढ़ने से रोकते हैं। फिर, रोज़ाना और नियमित ध्यानाभ्यास करने से, हम अपनी आत्मा को प्रभु-प्रेम का पानी देते हैं।

 

नववर्ष सत्संग का समापन करते हुए संत राजिन्दर सिंह जी ने एक बार फिर सबको नए साल के स्लोगन, Meditate Plenty in 2020, की याद दिलाई। कार्यक्रम का अंत ध्यानाभ्यास बैठक के साथ हुआ।