ध्यानाभ्यास के द्वारा अपने सच्चे मित्र का अनुभव करें

अक्टूबर 11, 2020

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने 23वें ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस ऑनलाइन कार्यक्रम की अध्यक्षता की, और कई हज़ार जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए मानवता की ख़ुशियों की तलाश पर प्रकाश डाला।

जब हम अपने जीवन की ओर देखते हैं, उन्होंने फ़र्माया, तो हम पाते हैं कि दुनिया भर में कई लोग अकेलापन महसूस करते हैं। हालाँकि हम तकनीकी रूप से बेहद आधुनिक युग में जी रहे हैं, जिसमें लोग विभिन्न उपकरणों और मीडिया के द्वारा आपस में इलैक्ट्रॉनिक रूप से जुड़े हुए हैं, लेकिन अजीब बात यह है कि हम पहले से भी ज़्यादा अकेले हो गए हैं, और अपने साथी इंसानों से ख़ुदा को कटा हुआ महसूस करने लगे हैं। परिणामस्वरूप, बढ़ती संख्या में लोग आज अकेलेपन का अनुभव कर रहे हैं, जिससे फिर निराशा और अवसाद का जन्म होता है।

संत-महापुरुष हमें याद दिलाते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया, कि हम जीवन से निराश इसलिए हो जाते हैं क्योंकि हम बाहरी संसार में दोस्त और सहारा ढूंढते रहते हैं, जहाँ हर कोई ख़ुद ही अपनी-अपनी मुश्किलों से घिरा हुआ है। लेकिन हम इस बात से अनजान हैं कि हमारा एक दोस्त ऐसा है जो हर समय हमारे लिए मौजूद है और हमसे बेहद प्यार करता है। यह दोस्त है प्रभु, जोकि आनंद, शांति, और ख़ुशियों के महासागर हैं, तथा जिनसे हम उत्पन्न हुए हैं।

प्रभु हमारे भीतर ही हैं, महाराज जी ने फ़र्माया। प्रभु की मित्रता का आनंद उठाने के लिए हमें प्रभु का अनुभव करना ज़रूरी है, और ऐसा तब होता है जब हम ध्यानाभ्यास की तकनीक सीखते हैं। जब हम अपने ध्यान को अंतर में एकाग्र करके आंतरिक रूहानी मंडलों में यात्रा करते हैं, तो हम प्रभु के प्रेम के साथ जुड़ जाते हैं। जितना अधिक हम प्रभु के प्रेम का अनुभव करेंगे, उतना ही अधिक हम आनंद व ख़ुशी की बढ़ती हुई अवस्थाओं में पहुँचते जायेंगे और एक ऐसा जीवन जीने लगेंगे जो अकेलेपन, दर्द, व तकलीफ़ों से मुक्त हो। कार्यक्रम के अंत में, संत राजिन्दर सिंह जी ने वैश्विक ऑनलाइन श्रोताओं को ध्यान में बैठा दिया।