आध्यात्मिक मार्ग पर नियमितता: एक सत्संग

जनवरी 21, 2020

इस शाम, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने प्रभु-प्राप्ति के मार्ग पर नियमितता के महत्त्व पर सत्संग फ़र्माया।

 

उन्होंने ज़ोर दिया कि आध्यात्मिक यात्रा का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू है ध्यानाभ्यास का पहलू। शांत अवस्था में बैठने से ही हम प्रभु की सत्ता के साथ जुड़ पाते हैं और यह अनुभव कर पाते हैं कि हम असल में कौन हैं। इसीलिए, हमसे ध्यानाभ्यास में नियमित होने के लिए कहा जाता है। अब यह हम पर है कि हम रोज़ाना ध्यान में बैठें, ताकि हम प्रभु के नज़दीक पहुँचते जायें। ऐसा करने के बाद हमें परिणाम को प्रभु के हाथों में छोड़ देना चाहिए, यह जानते हुए कि प्रभु हमें वही देंगे जो हमारे लिए बेहतर होगा।

 

यह सच है, महाराज जी ने समझाया, कि कई बार लगातार प्रयास करने के बाद भी अंधकार ही दिखने से हम ध्यानाभ्यास से निराश हो जाते हैं। एक शिक्षाप्रद कहानी की मदद से महाराज जी ने समझाया कि कोई भी उपलब्धि प्राप्त करने में समय, प्रयास, और नियमितता लगता है। जिस प्रकार स्नातक की डिग्री हासिल करने में लगभग 16 साल लग जाते हैं, उसी प्रकार रोज़ाना नियमित रूप से अभ्यास करने से हम ध्यानाभ्यास में भी सफलता अवश्य प्राप्त करते हैं। इससे हम आंतरिक मंडलों का अनुभव करने में सफल होते हैं।

 

लेकिन यह सफलता हमें पलक झपकते ही नहीं मिल जाती। छोटी-छोटी असफलताओं के बावजूद ध्यानाभ्यास में नियमित बने रहने के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए, महाराज जी ने सभी को रोज़ाना ध्यानाभ्यास करने के लिए प्रेरित किया।