खुशी, संतोष से मिलती है

नववर्ष के अपने पहले ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस प्रसारण में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने हमें एक ब्लूप्रिन्ट दिया कि हम इस नए साल में खुशियाँ कैसे पा सकते हैं।
नए साल की शुरुआत में हम अक्सर अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ प्रण लेते हैं। हम प्रभु से प्रार्थनाएँ करते हैं और वो चीज़ें माँगते हैं जो हमें लगता है कि हमें खुशियाँ देंगी – अच्छी सेहत, आर्थिक सुरक्षा, भौतिक लाभ, प्रेमपूर्ण रिश्ते-नाते, और ऐसी ही अन्य चीज़ें।
लेकिन समय के साथ-साथ, हम पाते हैं कि हमारी सारी प्रार्थनाएँ पूरी नहीं होती हैं। यह जानना ज़रूरी है, महाराज जी ने समझाया, कि हमारी गहन प्रार्थनाओं के बावजूद प्रभु हमें वही देते हैं जो हमारे लिए सही होता है। इसीलिए प्रभु से हमारी प्रार्थना यही होनी चाहिए कि प्रभु हमें वही दें जो हमारे लिए बेहतर और सही है, तथा यह कि हमारे पास जो कुछ भी हो, हम उसमें संतुष्ट रहें।
संतोष, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया, ही खुशी पाने का ज़रिया है। हम सबको यही प्रार्थना करनी चाहिए कि हमारे पास जो कुछ भी है, और हमें जो कुछ भी मिला है, उसी में हम संतुष्ट रहें। हमें ‘तेरा भाणा मीठा लागे’ के सिद्धांत के अनुसार जीना चाहिए, और यह भरोसा रखना चाहिए कि जो कुछ भी प्रभु हमारी दिशा में भेज रहे हैं, वो हमारी बेहतरी के लिए ही है। जब ऐसा होता है, तो हमारा जीवन खुशियों व परिपूर्णता से भरपूर हो जाता है।