33वें मानव एकता सम्मेलन का उद्घाटन सत्र

दिव्य प्रेम के धागों से खिंचा हुआ, दूर-दूर के शहरों, गाँवों, और स्थानों से आने वाला मानवता का समुद्र आज कृपाल बाग़ में 33वें अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता सम्मेलन (5-6 फरवरी 2020) के उद्घाटन सत्र में भाग लेने के लिए एकत्रित हुआ। परम संत कृपाल सिंह जी महाराज (1894-1974) के पावन जन्मोत्सव, जो 6 फरवरी को होता है, के अवसर पर यह सम्मेलन हर साल फरवरी माह में आयोजित किया जाता है। संत कृपाल सिंह जी महाराज विश्व धर्म सम्मेलन और मानव एकता सम्मेलन के संस्थापक अध्यक्ष थे, जिसका लक्ष्य था मानव एकता और समानता के आध्यात्मिक स्वप्न को पूरा करना।
अपने उद्घाटन संदेश में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने सम्मेलन आयोजित करने के पीछे के संत कृपाल सिंह जी के उद्देश्य के बारे में बताया – सभी पृष्ठभूमियों, धर्मों, और राष्ट्रीयताओं के लोगों को एक साँझा मंच पर इकट्ठा करना, ताकि वे आत्मा के स्तर पर अपनी आपसी एकता को पहचान सकें। के संत कृपाल सिंह जी सभी को “नेक बनो, नेकी करो, एक बनो” की शिक्षा देते थे, तथा प्रेम, करुणा, अहिंसा, नम्रता और निष्काम सेवा के सद्गुण धारण करने की सीख देते थे।
सत्संग का अंत करते हुए संत राजिन्दर सिंह जी ने समझाया कि यह मानव चोला एक सुनहरा अवसर है जो हमें स्वयं को जानने और प्रभु को पाने के लिए दिया गया है। ध्यानाभ्यास ही वो तरीका है जिससे हम इस लक्ष्य को पा सकते हैं। अनेक आमंत्रित अतिथियों और पश्चिमी प्रतिनिधियों ने भी श्रोताओं को संबोधित किया और गोष्ठी के विषय पर विचार व्यक्त किए।