प्रभु हमसे बेहद प्रेम करते हैं

आज के अपने वेब प्रसारण में, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने हमारे लिए प्रभु के अनंत प्रेम के बारे में बताया और समझाया कि हम कैसे उसका अनुभव कर सकते हैं।
जीवन में मुश्किलों से गुज़रते समय, कई हम ख़ुद को अकेला और बेसहारा महसूस करते हैं। अच्छे समय में तो हमारे साथ कई रिश्तेदार और दोस्त होते हैं, लेकिन कई बार मुसीबत के समय वो भी हमारी मदद नहीं कर पाते हैं। ऐसे में हम परेशान हो जाते हैं कि क्या इस दुनिया में कोई हमारा सच्चा सहारा है? हम ख़ुद से पूछते हैं कि क्या ऐसा कोई है जो हमसे बिना-शर्त प्रेम करता है और हर परिस्थिति में हमारी मदद कर सकता है? तब हमारे विचार प्रभु की ओर मुड़ते हैं और हम सोचने लगते हैं कि क्या प्रभु का अस्तित्व है और क्या प्रभु हमसे प्रेम करते हैं।
प्रभु का अस्तित्व अवश्य है, और प्रभु हमसे बेहद व बिना-शर्त प्रेम करते हैं, महाराज जी ने आश्वासन दिया। इस दुनिया में माँ का अपने बच्चे के प्रति प्रेम सबसे महान माना जाता है, और इस प्रेम में हमें प्रभु के अत्यधिक प्रेम की झलक मिलती है।
हम प्रभु के हमारे लिए प्रेम की अधिकता की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं; इस प्रेम को जानने के लिए हमें इसका अनुभव करना होगा। लेकिन जैसे हम हवा को देख नहीं पाते हालाँकि वो हमें जीवन देती है, वैसे ही प्रभु हमारे अस्तित्व को जान देते हैं लेकिन हमें नज़र नहीं आते हैं। परंतु हम ऐसी अवस्था में अवश्य पहुँच सकते हैं जहाँ हम प्रभु को देख सकते हैं, जान सकते हैं, पहचान सकते हैं, और उनके असीम प्रेम का अनुभव कर सकते हैं। इस अवस्था में पहुँचने के लिए हमें प्रभु को वहाँ ढूंढना होगा जहाँ वो बसते हैं। प्रभु हम में से हरेक के भीतर ही निवास करते हैं। ध्यानाभ्यास की तकनीक सीखकर हम आंतरिक यात्रा पर जाकर प्रभु का अनुभव कर पाते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया।