प्रभु की रज़ा में जीना

नवम्बर 8, 2020

इस रविवार, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने 27वें ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस की अध्यक्षता की, तथा विश्व भर के हज़ारों लोगों को ऑनलाइन सम्बोधित किया। अपने सत्संग में महाराज जी ने प्रार्थना की प्रकृति के बारे में बताया, तथा प्रभु की रज़ा में जीने के रहस्य से पर्दा उठाया।

हम सब चीज़ों को पाने के लिए प्रार्थनाएँ करते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया। हम किसी चीज़ के लिए प्रार्थना करते हैं क्योंकि हमें लगता है कि वो हमारे लिए अच्छी होगी। प्रार्थना करते वक्त हम यह सोचते हैं कि प्रभु तो बहुत व्यस्त होंगे, उन्हें हमारी ज़रूरतों के बारे में क्या पता होगा? इसीलिए हम ख़ुद ही प्रभु का द्वार खटखटा कर अपनी ज़रूरतों की घोषणा करते रहते हैं। अगर हमें वो चीज़ नहीं मिलती है जिसके लिए हमने प्रार्थना की होती है, तो हम टूट जाते हैं और प्रभु में हमारा विश्वास ढह जाता है।

संत राजिन्दर सिंह जी ने समझाया कि प्रभु को हमारी हरेक ज़रूरत के बारे में पता है, और वो हमेशा हमें वही देते हैं जो हमारे लिए सही होता है। पीछे मुड़कर जब हम देखते हैं, तो हम पाते हैं कि यही सच है। हमें प्रभु में पूर्ण विश्वास रखना चाहिए और प्रभु की रज़ा में राज़ी रहना चाहिए। ऐसा तब होता है जब हम प्रभु का अनुभव करते हैं। ध्यानाभ्यास के द्वारा जब हम आंतरिक रूहानी मंडलों में यात्रा करने लगते हैं, तो हम स्वयं प्रभु का अनुभव कर लेते हैं। हम जान जाते हैं कि प्रभु हर समय हमारे अंग-संग रहते हैं। इस अनुभव से प्रभु में हमारा विश्वास दृढ़ हो जाता है और हमें भरोसा हो जाता है कि प्रभु हमसे बेहद प्रेम करते हैं। फिर हम प्रभु की असीम बुद्धि पर संदेह करना बंद कर देते हैं और अपने आप ही प्रभु की रज़ा में जीना शुरू कर देते हैं, तथा अपनी आत्मा का मिलाप परमात्मा में करवाने के लिए तेज़ी से कदम बढ़ाने लगते हैं।