ध्यानाभ्यास के द्वारा स्थाई ख़ुशी प्राप्त करना

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के सत्संग के सीधे प्रसारण से जुड़े हज़ारों जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुए महाराज जी ने ऐसे विषय पर प्रकाश डाला जो समय की शुरुआत से ही इंसानों के लिए महत्त्वपूर्ण रहा है – सच्ची और स्थाई ख़ुशी की तलाश।
सुबह से रात तक, हम बाहरी संसार की प्राथमिकताओं पर केंद्रित रहते हुए ही जीवन गुज़ार देते हैं, तथा बाहरी वातावरण की अनुभूतियों को ग्रहण करने के लिए अपनी भौतिक इंद्रियों से ही काम लेते रहते हैं। यह सोचते हुए कि इस संसार के अलावा और कुछ भी नहीं है, हम अपने वातावरण और अपने रिश्तों में ही वो सहारा, ख़ुशियाँ, और शांति ढूंढते रहते हैं जिसकी हमें तलाश है। लेकिन इस संसार की तमाम चीज़ें अस्थाई हैं, महाराज जी ने फ़र्माया, और अस्थाई चीज़ से जुड़ने पर हमें स्थाई ख़ुशी कभी भी नहीं मिल सकती है। अगर हमें स्थाई ख़ुशी पानी है, तो हमें प्रभु को जानना होगा, प्रभु का अनुभव करना होगा, प्रभु से मिलना होगा।
प्रभु हमारे भीतर हैं, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया। प्रभु हर समय हमारी देखरेख कर रहे हैं, हर कदम पर हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। अपनी सीमित बुद्धि से हम प्रभु के रहस्यमयी तरीकों को नहीं समझ सकते। लेकिन जब हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अपने ध्यान को बाहरी संसार से हटाते हैं और आंतरिक आध्यात्मिक यात्रा पर जाते हैं, तो हम प्रभु के प्रेम के साथ जुड़ जाते हैं, जो हमारी आत्मा को सदा-सदा रहने वाली ख़ुशी और आनंद में नहला देता है।