आध्यात्मिक मार्ग पर सफलता

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने आज 19वें ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। महाराज जी ने आध्यात्मिक यात्रा पर तरक्की करने के लिए दो मुख्य तथ्यों पर प्रकाश डाला। पहला है अपने लक्ष्य को जानना। इसके लिए, हमें पहले यह जानना होगा कि हम कौन हैं और यहाँ क्यों आए हैं। जब हम यह जान जाते हैं कि हम असल में शरीर नहीं बल्कि आत्मा हैं, वो ताकत हैं जो इस शरीर को जान दे रही है, तो हम यह भी जान जाते हैं कि हमारे जीवन का कोई बड़ा उद्देश्य है – प्रभु का अनुभव करना और अपना आत्मा का मिलाप प्रभु में करवाना। जब एक बार हमें अपना लक्ष्य समझ में आ जाता है, तो फिर हम उसे पाने के लिए कदम उठाते हैं। ध्यानाभ्यास वो तरीका है, महाराज जी ने फ़र्माया, जिससे हम इस लक्ष्य को पा सकते हैं।
जब एक बार हमें अपना लक्ष्य समझ में आ जाता है, तो फिर हमारे अंदर उसे पाने के लिए गहरी लगन और तड़प का होना ज़रूरी है। आध्यात्मिक मार्ग पर इसका अर्थ है प्रभु का अनुभव करने की, प्रभु को पाने की, गहरी तड़प होना। बाहरी संसार के कार्यों की तरह ही आध्यात्मिक क्षेत्र में तरक्की के लिए भी ज़रूरी है कि हम रोज़ाना प्रयास करें और अपने लक्ष्य को पाने की कोशिशों में नियमित रहें। हमें प्रभु को अपने जीवन में प्राथमिकता देनी होगी। हमें अपनी कोशिशों में ईमानदार होना होगा और दृढ़-संकल्प से काम लेना होगा। प्रतिदिन नियमित रूप से ध्यानाभ्यास करने से हम आंतरिक यात्रा पर जाने के लिए और आध्यात्मिक ऊँचाइयों को छूने के लिए तैयार हो जाते हैं।