अपनी साँसों का बेहतरीन इस्तेमाल करें

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने 22वें ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस कार्यक्रम की अध्यक्षता की – वह ऑनलाइन कार्यक्रम जो दुनिया भर के जिज्ञासुओं को इस महामारी के दौरान महाराज जी के वचनों को सुनने का, ध्यानाभ्यास में बैठने का, और ख़ुद को उभार देने का अवसर प्रदान करता है।
आज के सत्संग ने हमारे जीवन की सबसे महत्त्वपूर्ण चीज़ पर प्रकाश डालाः हमारी साँसें। जीवन जीते समय, हम सांसारिक चीज़ों की ओर बहुत अधिक ध्यान देते हैं और घंटों अपनी आर्थिक स्थिति का जायज़ा लेते रहते हैं, दुनियावी चीज़ें इकट्ठी करते रहते हैं, और हमें महत्त्वपूर्ण लगने वाली चीज़ों और गतिविधियों की ओर ध्यान देने में ही अपना पूरा समय लगा देते हैं। लेकिन हम में से ज़्यादातर लोग अपनी साँसों की ओर ध्यान नहीं देते हैं। हमारा जीवन सीमित है, और हमें मिली साँसों की संख्या ही हमारी आयु को निर्धारित करती है। अब यह हम पर है कि हम अपनी साँसों का बेहतरीन इस्तेमाल करें, ताकि हम उस लक्ष्य को पा सकें जिसके लिए हमें इस संसार में भेजा गया है।
यह मानव चोला एक सुनहरा अवसर है, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया, और हम सब एक उच्चतम लक्ष्य को पाने के लिए यहाँ आए हैं: अपने आपको आत्मा के रूप में जानना और प्रभु को पाना। अपनी साँसों का बेहतरीन इस्तेमाल करने के लिए, महाराज जी ने समझाया, हमें अंतर में जाना होगा और उन रूहानी ख़ज़ानों का अनुभव करना होगा जो हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं; हमें प्रभु के प्रेम का अनुभव करना होगा। इस आंतरिक यात्रा पर हम ध्यानाभ्यास के द्वारा जा सकते हैं। ध्यानाभ्यास में हम अपने ध्यान को भौतिक इंद्रियों और बाहरी संसार से हटातें और अंदरूनी मंडलों में यात्रा करते हैं, जहाँ हम ख़ुद को आत्मा के रूप में अनुभव करते हैं। जब हम अपनी साँसों को इस उच्चतम उद्देश्य को पाने के लिए इस्तेमाल करते हैं, और नियमित रूप से ध्यानाभ्यास करते हैं तथा सद्गुणों को अपने अंदर धारण करते है, तो हम अपने जीवन के उद्देश्य को पाने की दिशा में तेज़ी से कदम उठाने लगते हैं।