सच्चा मित्र

अगस्त 1, 2020

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने बताया कि जीवन के उतार-चढ़ाव से गुज़रते हुए प्रभु हमारे सच्चे मित्र और रक्षक बने रहते हैं।

हम चाहे कोई भी हों, हम सबको किसी न किसी समय मदद और सहारे की ज़रूरत होती ही है, महाराज जी ने समझाया। इस सहारे को पाने के लिए हम अपने बाहरी रिश्तों की ओर देखते हैं, और कभी-कभी हमें उनसे मदद, प्यार, और मार्गदर्शन मिल भी जाता है। लेकिन इस जीवन में हमारे द्वारा अनुभव किया गया प्रेम कुछ शर्तों पर आधारित होता है और उन रिश्तों के द्वारा मिलने वाला सहारा भी अस्थाई ही होता है, क्योंकि वो गलतफ़हमी, दूरी, और मृत्यु के कारण बदलता रहता है।

सबसे बड़ी सहायता जो हम पा सकते हैं, वो प्रभु से ही पा सकते हैं, क्योंकि प्रभु ही हमारे सच्चे माता-पिता हैं। प्रभु हमसे बिना-शर्त प्रेम करते हैं, और ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में जाकर हम इस प्रेम का अनुभव कर सकते हैं, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया। जब हम प्रभु के प्रेम, प्रकाश, और आनंद का अनुभव करने लगते हैं, तो हम प्रभु के प्रेम से भरपूर हो जाते हैं, और फिर हम अपने आसपास के लोगों तक भी वो प्रेम फैलाने लगते हैं। जब हम में से हरेक व्यक्ति इस आनंद का अनुभव करने लगेगा, तो आनंद के घेरे बनते चले जायेंगे, जो आख़िरकार पूरे संसार में फैल जायेंगे। इस सबकी शुरुआत होती है ध्यानाभ्यास के साथ जिसमें हम प्रभु के प्रेम का अनुभव कर पाते हैं ।