प्रभु को पाने की यात्रा

अक्टूबर 25, 2020

आज, 25वें ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस ऑनलाइन कार्यक्रम में, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने प्रभु की तलाश और प्रभु को पाने के रहस्य के बारे में बताया।

प्रभु को किसी शॉर्टकट के द्वारा या केवल बाहरी रीति-रिवाज़ों के द्वारा पाया नहीं जा सकता है, महाराज जी ने फ़र्माया। प्रभु को पाने का रहस्य उस अंदरूनी यात्रा में है जिस पर हमें जाना है। साथ ही, हमें जीवन रूपी यात्रा में भी अपने साथी इंसानों के प्रति दयालु व ग्रहणशील बने रहना चाहिए।

महाराज जी ने समझाया कि इस सृष्टि का प्रत्येक जीव प्रभु का ही प्रतिबिंब है। प्रभु की भव्यता और शान हरेक आत्मा में प्रकाशित है। जीवन से गुज़रते हुए हम जब भी किसी जीव को देखते हैं, तो हम प्रभु के रूप को ही देख रहे होते हैं। जब हमें एहसास होता है कि प्रभु सबके अंदर हैं, तो हम यह भी जान जाते हैं कि प्रभु हमारे भीतर भी हैं। तब हमें समझ में आता है कि प्रभु को पाने के लिए हमें इस बाहरी संसार में कहीं यात्रा करने की ज़रूरत नहीं है। प्रभु हमारे भीतर ही हैं, और प्रभु को पाने के लिए हमें अपने अंतर में यात्रा करनी होगी और अपने सच्चे आत्मिक स्वरूप को जानना होगा। ऐसा हम ध्यानाभ्यास की विधि के द्वारा कर सकते हैं।

प्रभु हमसे बेहद प्रेम करते हैं, और प्रभु की संतान होने के नाते यह हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है कि हम प्रभु को जानें। ध्यानाभ्यास के द्वारा हम प्रभु का और प्रभु के प्रेम का अनुभव कर सकते हैं, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया। इसके बाद महाराज जी ने ऑनलाइन श्रोताओं को ध्यान में बैठा दिया।