प्रभु की ओर जाने वाली यात्रा के लिए आत्मा को तैयार करें

आज के ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस की शुरुआत करते हुए, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने सभी को वसंत की शुभकामनाएँ दीं। वसंत की सुंदरता के बारे में बोलते हुए महाराज जी ने समझाया कि इस मानव चोले में हमें मिला समय हमारी आत्मा के लिए वसंत का समय है, एक ऐसा समय जब हमारी आत्मा के लिए प्रभु का अनुभव करने के सभी द्वार खुल जाते हैं।
यह एक दुर्लभ व सुनहरा अवसर है, और यह हम पर है कि हम इससे पूरा-पूरा फ़ायदा उठायें। हमें जीवन का सही दृष्टिकोण समझाते हुए महाराज जी ने बताया कि जब हम इस भौतिक संसार को छोड़कर जायेंगे, तो हम अपने साथ अपनी वो दौलत, संपत्ति, या चीज़ें, कुछ भी नहीं ले जा पायेंगे जिन्हें एकत्रित करने में हम सारा समय व्यतीत कर देते हैं। वास्तव में यह समय है अपनी आत्मा को तैयार करने का, ताकि वो प्रभु का अनुभव करने की ओर कदम बढ़ा सके।
प्रभु की ओर जाने वाली यात्रा के लिए आत्मा को तैयार करने के लिए हमें उसके गुणों का, अर्थात् प्रेम, अहिंसा, एकता, नम्रता, करुणा, और सेवा का अनुभव करना होगा। हमें चाहिए कि हम आत्म-निरीक्षण करें और अपनी आत्मा पर पड़ी समस्त गंदगी को दूर करें। यह गंदगी तब धुल सकती है जब ध्यानाभ्यास के द्वारा हमारी आत्मा प्रभु के प्रेम और प्रकाश के पवित्र जल के साथ जुड़ जाए। जब हमारी आत्मा साफ़ हो जाती है, तो हम पाते हैं कि हम अपने जीवन के अन्य पहलू भी उस ढंग से जीने लगते हैं जिसमें हम प्रभु को पाने की तैयारी कर रहे होते हैं।