इंसानी जीवन का अनमोल ख़ज़ाना

आज, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने इंसानी जीवन के अनमोल ख़ज़ाने के बारे में बताया, तथा समझाया कि अपने जीवन के सच्चे उद्देश्य को जानने का क्या महत्त्व है और हम कैसे इस उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं। हम में से अधिकतर लोग यह भी नहीं जानते कि हमारा जीवन किस दिशा में चल रहा है, और हमें असल में अपना जीवन कैसे बिताना चाहिए। यह जीवन, महाराज जी ने फ़र्माया, प्रभु द्वारा हमें दिया गया एक अनमोल ख़ज़ाना है। हमें इसे केवल दुनियावी चीज़ें पाने में ही गँवा नहीं देना चाहिए। यह जीवन हमें इसीलिए दिया गया है ताकि हम जान सकें कि हम असल में कौन हैं और परमात्मा के पास वापस पहुँच सकें।
महाराज जी ने फ़र्माया कि हमें अपना जीवन इस तरीके से बिताना चाहिए कि हम दुनिया के रंगों में नहीं, बल्कि प्रभु-प्रेम के रंगों में रंगे जायें। प्रभु के प्रेम के प्रति ग्रहणशील होने के लिए हमें नैतिक जीवन जीना होगा, तथा प्रेम, अहिंसा, करुणा, सच्चाई, और नम्रता जैसे सद्गुणों को अपने अंदर धारण करना होगा। हमें निस्वार्थ रूप से एक-दूसरे की मदद करनी होगी और एकता के जीवन को गले लगाना होगा।
प्रभु हर जीवित प्राणी में बसते हैं – इंसान, पशु, पक्षी, रेंगने वाले जीव, मछलियाँ, और पेड़-पौधे। लेकिन भौतिक इंद्रियों के स्तर पर जीने के कारण हम अपनी अंदरूनी एकता और संबद्धता को जान नहीं पाते हैं। हम उनके अंदर प्रभु को देख नहीं पाते हैं। लेकिन जब हम ध्यानाभ्यास की तकनीक सीख लेते हैं, तो हमारा दृष्टिकोण बदल जाता है। हम शारीरिक इंद्रियों से ऊपर उठना सीख जाते हैं और अपने अंदर प्रभु के प्रकाश का अनुभव करने लगते हैं, तथा अन्य जीवों में भी प्रभु का प्रकाश देखने लगते हैं।
ध्यानाभ्यास के द्वारा प्रभु की ज्योति व श्रुति के साथ जुड़कर, हम बदल जाते हैं। हम इस इंसानी चोले के अनमोल ख़ज़ाने को पहचान जाते हैं, और अपने जीवन के लक्ष्य की ओर तेज़ी से कदम उठाने लगते हैं।