वैश्विक महामारी: आध्यात्मिक तरक्की का समय

मई 16, 2021

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने वैश्विक महामारी के कारण उत्पन्न कठिनाइयों और चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने समझाया कि हमें अपनी अंदरूनी शक्ति से काम लेना चाहिए और प्रभु में पूरा भरोसा रखना चाहिए, यह जानते हुए कि सुरंग के अंत में हमेशा रोशनी होती है।

हम सब एक बेहद कठिन दौर से गुज़र रहे हैं, जबकि दुनिया भर में करोड़ों लोग इस वायरस द्वारा भावनात्मक, शारीरिक, या आर्थिक रूप से प्रभावित हुए हैं। लेकिन हमें इस वायरस से हारना नहीं है, महाराज जी ने फ़र्माया, तथा उदाहरणों द्वारा याद दिलाया कि मानव जाति ने हमेशा चुनौतियों का बहादुरी से सामना किया है और विजयी रही है। हमें देखना चाहिए कि ये चुनौतियाँ हमें विकसित होने में मदद कैसे कर सकती हैं। हम अपने परिवारजनों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत कर सकते हैं, तथा रोज़मर्रा के यातायात और भागदौड़ से बचे हुए समय का इस्तेमाल कर अपने ज्ञान और कौशलों को बढ़ा सकते हैं। इस समय हमें दूसरों की ओर सहायता का हाथ भी बढ़ाना चाहिए, ताकि हम उनके दर्द और बोझ को कम कर सकें।

इस समय हमें पहचानना चाहिए कि हम सब आपस में जुड़े हुए हैं और प्रभु के एक ही परिवार के सदस्य हैं। यह जान जाने से हम एक ऐसी अवस्था में पहुँच जाते हैं जहाँ दूसरों की तकलीफ़ हमारी तकलीफ़ बन जाती है, और फिर हम प्रेमपूर्वक दूसरों की सेवा करने लगते हैं। इस वैश्विक महामारी ने जो सबसे बड़ा अवसर हमें दिया है, वो है ध्यानाभ्यास में बैठने का अतिरिक्त समय, ताकि हम अपने सच्चे स्वरूप की ओर ध्यान दे सकें, अपने जीवन के उद्देश्य को जान सकें, तथा अंतर में प्रभु के प्रेम व प्रकाश के साथ जुड़ सकें। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम प्रभु के प्रेम की अपार शक्ति का अनुभव करने लगते हैं और हमें हर कठिनाई से जूझने की ताकत मिल जाती है। सृष्टिकर्ता प्रभु हम में से हरेक के भीतर हैं, और जो लोग प्रभु से जुड़ जाते हैं वही ज़िन्दगी को शांतिपूर्ण ढंग से जी पाते हैं। संत राजिन्दर सिंह जी ने समझाया: हमें इस शक्ति, इस दिव्य सत्ता, के साथ जुड़ना चाहिए और इसे अपने रोम-रोम में समा लेना चाहिए। हमें इस दिव्य शक्ति का सहारा लेकर अपने सामने आने वाली किसी भी चुनौती का सामना बहादुरी से करना चाहिए।