स्वयं परिवर्तन बनें। स्वयं प्रकाश बनें।

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने महात्मा गाँधी जी को पुष्पांजलि अर्पित की, जिनका 151वाँ जन्मदिवस विश्व भर में 2 अक्टूबर 2020 को मनाया गया। गाँधी जी ने हमें दर्शाया, महाराज जी ने फ़र्माया, कि मुश्किल परिस्थितियों को शांतिपूर्ण ढंग से कैसे सुलझाया जा सकता है, क्योंकि उन्होंने स्वयं अहिंसा के द्वारा ही भारत को स्वतंत्रता दिलाई थी।
जब हम जीवन पर नज़र डालते हैं, तो हम पाते हैं कि जीवन कभी शांति और ख़ुशी तो कभी मुश्किलों और चुनौतियों के पलों के बीच झूलता रहता है। लेकिन ज़रूरी यह है कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, हम अपनी ज़िन्दगी आराम और शांति से जियें। जब हम हलचल में जीते हैं, तो हम अपने लिए और भी ज़्यादा मुश्किलें पैदा कर लेते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया। तमाम उतार-चढ़ाव के बीच भी हमें याद रखना चाहिए कि हम अपना जीवन ऐसे गुज़ारें जो हमें अपने उच्चतम लक्ष्य के नज़दीक लेता चला जाए, और ऐसा तब होता है जब हम शांत बने रहते हैं।
संत-महापुरुष इस संसार में इसीलिए आते हैं ताकि हमें अपने उच्चतम लक्ष्य की याद दिला सकें- अपने सच्चे आत्मिक स्वरूप को जानना और प्रभु के पास वापस जाने की दिशा में कदम उठाना। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए वे हमें ध्यानाभ्यास की तकनीक सिखाते हैं, ताकि हम आंतरिक आध्यात्मिक यात्रा पर जा सकें। अंतर में प्रभु के प्रकाश के साथ जुड़ने से हम अंदरूनी मंडलों की शांति व आनंद का अनुभव करने लगते हैं, और हमारे जीवन का अंधकार समाप्त हो जाता है। हमारा जीवन प्रभु के प्रेम से प्रकाशित हो जाता है। हम प्रेम, करुणा, सच्चाई, अहिंसा और नम्रता से भरपूर हो जाते हैं, तथा अपने आसपास मौजूद सभी लोगों की सेवा व सहायता करने लगते हैं। ध्यानाभ्यास के द्वारा, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया, हम अपने प्रकाश को सारी दुनिया के साथ बाँट सकते हैं, और हम ख़ुद वो परिवर्तन बन सकते हैं जो हम दूसरों में देखना चाहते हैं।