स्वस्थ आदतें विकसित करना

जून 27, 2021

आज के अपने सत्संग में, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने समझाया कि हमें ऐसी स्वस्थ आदतें विकसित करनी चाहियें जो हमें प्रभु के नज़दीक ले जायें। हम आदतवश अपना ध्यान बाहरी संसार में ही लगाए रखते हैं, और यह सोचते हैं कि जीवन में बस वही सबकुछ है जो हम अपनी भौतिक इंद्रियों के द्वारा अनुभव करते हैं। इसी वजह से हम उच्चतर सच्चाई से और अपने जीवन के उच्चतर उद्देश्य से अनजान ही रहते हैं।

मानव जीवन के उद्देश्य को हासिल करने के लिए, हमें बाहरी संसार में ध्यान लगाए रखने की और रोज़ाना हम अपना समय कैसे गुज़ारते हैं, इस आदत को तोड़ना होगा, तथा ऐसी नई आदतें डालनी होंगी जो हमें प्रभु के नज़दीक ले जायें।

इसके लिए पहला कदम है, महाराज जी ने समझाया, कि हमारे अंदर आत्म-निरीक्षण करने की सच्ची इच्छा हो और हम गहराई से नज़र डालें कि हम अपना जीवन कैसे बिता रहे हैं। यह इच्छा हमें ध्यानाभ्यास में अधिक समय बिताने के लिए प्रेरित करती है; अपने अंतर में ध्यान टिकाकर रूहानी ख़ज़ानों का अनुभव करने की प्रक्रिया को ध्यानाभ्यास कहते हैं। अपने जीवन में ध्यानाभ्यास को शामिल करने के लिए हमें हर दिन एक समय और एक स्थान निर्धारित करना होगा, ताकि इसकी आदत विकसित हो सके। इसके बाद, हमें तकनीक का सही ढंग से पालन करते हुए अपने शरीर को शांत करना होगा, अपनी आंतरिक दृष्टि को स्थिर करना होगा, और अपने मन को टिकाना होगा। किसी भी आदत का विकास करने में समय लगता है, लेकिन अगर हम सच्चाई से लगे रहें, तो हम अवश्य ध्यानाभ्यास में पारंगत होते जायेंगे, तथा समय के साथ-साथ हम अंतर में प्रभु की दिव्य ज्योति व प्रेम के साथ जुड़ते चले जायेंगे। एक बार जब हम प्रभु के प्रेम का अनुभव कर लेंगे, तो हमारा जीवन शांत और परिपूर्ण हो जाएगा।