प्रभु को अपने अंतर में डाउनलोड करें

जून 28, 2020

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने 11वें ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस की अध्यक्षता की। इस ऑनलाइन कार्यक्रम में महामारी के दौरान वैश्विक समुदाय के सदस्य अपने-अपने घरों में इकट्ठा होते रहे हैं, ताकि व्यक्तिगत और सामूहिक हित के लिए ध्यानाभ्यास कर सकें।

अपने सत्संग में महाराज जी ने मानव चोले की महत्ता और हमारे सामने मौजूद उच्चतम उद्देश्य पर प्रकाश डाला, तथा समझाया कि इस दुनिया में कुछ भी बेतरतीब या आकस्मिक नहीं है। यहाँ मौजूद हर चीज़ किसी न किसी उद्देश्य से बनाई गई है। हम भी यहाँ एक ख़ास उद्देश्य से आए हैं। हमें यह मानव चोला इसीलिए दिया गया है ताकि युगों-युगों से अपने स्रोत से बिछुड़ी हमारी आत्मा वापस परमात्मा में जाकर लीन हो सके – जिस स्रोत से वो उत्पन्न हुई थी। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमें प्रभु को अपने अंदर डाउनलोड करना होगा, महाराज जी ने फ़र्माया।

आज के आधुनिक युग में हम निरंतर संसार को अपने दिमाग़ में डाउनलोड कर रहे हैं, और हमारा मस्तिष्क ज़्यादातर सांसारिक अनुभवों को दर्ज़ करने में ही व्यस्त रहता है। इसके बजाय अगर हम प्रभु को डाउनलोड करेंगे, तो हम अपने जीवन के उच्चतम उद्देश्य की ओर निरंतर प्रगति कर पायेंगे। प्रभु का चैनल सृष्टि की शुरुआत से ही प्रसारित हो रहा है, और यह संसार के चैनलों के साथ-साथ ही प्रसारित हो रहा है, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया। प्रभु को डाउनलोड करने के लिए हमें बाहरी संसार में फैले अपने ध्यान को समेटकर अपनी तीसरी या अंदरूनी आँख पर केंद्रित करना होगा – जो आंतरिक रूहानी मंडलों में जाने का प्रवेशद्वार है।