चिंताओं से मुक्ति पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज
आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के रविवारीय सत्संग से लाभ उठाने के लिए पूरे विश्व से सैकड़ों जिज्ञासु एकत्रित हुए। महाराज जी के सत्संग का विषय वो था जिससे हम सब परेशान रहते हैं: चिंता।
चिंता, महाराज जी ने समझाया, हमारे जीवन का अंग बन चुकी है। हम अपने जीवन के सभी पहलुओं के बारे में चिंता करते हैं: अपने स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति, रिश्ते-नातों, प्रियजनों के बारे में। हम चिंता करते हैं क्योंकि हमें नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा। मुसीबत की इस आशंका से, चाहे सच्ची हो या काल्पनिक, हमारे शरीर में कॉर्टिसोल पैदा होता है ताकि हम उस मुसीबत का सामना कर सकें। जब हमारे शरीर में लगातार चिंता के कारण अत्यधिक तनाव हॉरमोन पैदा हो जाते हैं, तो वे ऐसी कई बीमारियों की जड़ बन जाते हैं जो आज हमारे समाज में आम हो गई हैं।
संत राजिन्दर सिंह जी ने आगे समझाया कि हम किस प्रकार ऐसी अवस्था में पहुँच सकते हैं जिसमें चिंता करने के बजाय हम हरेक परिस्थिति में ख़ुश रह सकते हैं। जब हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में यात्रा कर प्रभु की ज्योति व श्रुति का अनुभव करते हैं, तो हम समस्त ख़ुशियों के स्रोत के साथ जुड़ जाते हैं। हमारी आत्मा को ढकने वाली मन, माया, और भ्रम की पर्तें उतर जाती हैं और हम प्रभु के प्रेम का अनुभव कर पाते हैं, जोकि अनंत है। इस स्थाई प्रेम के साथ जुड़कर हमें वो स्थिरता, वो मज़बूती, मिल जाती है जिससे हम जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना आसानी से कर पाते हैं, इस ज्ञान के साथ कि भौतिक संसार की हर चीज़ ने एक दिन नष्ट हो जाना है। जब प्रभु का प्रेम हमें ख़ुशियों से भरपूर कर देता है, तो हम जीवन में आने वाली कठिनाइयों और कष्टों से बेख़बर हो जाते हैं, और हमारी सारी चिंतायें दूर हो जाती हैं।