ध्यानाभ्यास के द्वारा आध्यात्मिक जागृति

सितम्बर 11, 2021

आज संत दर्शन सिंह जी महाराज (14 सितम्बर 1921 – 30 मई 1989) के शताब्दी जन्मोत्सव समारोह के उपलक्ष्य में दस-दिवसीय ऑनलाइन समारोह की शुरुआत करते हुए संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने उद्घाटन सत्संग फ़र्माया। संत दर्शन सिंह जी महाराज एक महान् शायर-संत थे, जिन्होंने प्रेम, शांति, और एकता का संदेश दूर-दूर तक फैलाया। महाराज जी ने संत दर्शन सिंह जी महाराज के कुछ रूहानी शेअरों पर सत्संग फ़र्माते हुए समझाया कि ध्यानाभ्यास हमें आध्यात्मिक जागृति की ओर कैसे ले जा सकता है।

ध्यानाभ्यास, जिसमें हम अपने ध्यान को बाहरी संसार से हटाकर अंतर में एकाग्र करते हैं, हमें अंधकार की अवस्था – वह अवस्था जिसमें हम अपने सच्चे स्वरूप को भूल चुके हैं – से प्रकाश की ओर ले जाता है, जहाँ हम अपने सच्चे स्वरूप के प्रति जागृत हो उठते हैं। इस आध्यात्मिक जागृति की प्रक्रिया के द्वारा हम जान जाते हैं कि हम शरीर और मन से कहीं अधिक हैं; हम आत्मा हैं, परमात्मा का अंश हैं।

प्रभु का प्रेम हमारे जीवन को प्रकाशित कर देता है, और हमें याद दिलाता है कि हमें यह जीवन दुख-दर्द में डूबे रहने के लिए नहीं दिया गया है। हमारे अंतर में खुशी व आनंद का एक अनंत स्रोत हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। जब हम ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हम प्रभु के प्रेम में पूरी तरह से डूब जाते हैं। हम खुशी व आनंद के महासागर में तैरने लगते हैं, तथा इसे और अधिक पाना चाहते हैं। इस अवस्था में, जबकि हम प्रभु को अपने भीतर अनुभव कर चुके होते हैं, हम सभी जीवों में प्रभु की मौजूदगी को महसूस करने लगते हैं। हम अपनी आपसी एकता के प्रति जागृत हो उठते हैं, और दूसरों को अपना मानकर गले से लगा लेते हैं। हम हरेक व्यक्ति से प्रेम करने लगते हैं, और इसी प्रेम के कारण हम दूसरों का दुख-दर्द बाँटने की और अपने साथी इंसानों की मदद करने कोशिश करते हैं। इस प्रकार, ध्यानाभ्यास के द्वारा हम निस्वार्थता की खुशी का अनुभव करते हैं, तथा एक शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं।