अंतर में प्रकाश का अनुभव करें

अक्टूबर 30, 2021

4 नवम्बर को दुनिया भर में लोग दीवाली मनायेंगे – वो प्रकाश का त्यौहार जो अच्छाई की बुराई पर जीत के लिए तथा प्रकाश की अंधकार पर जीत के लिए मनाया जाता है। इस त्यौहार के आध्यात्मिक महत्त्व के बारे में समझाते हुए संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने याद दिलाया कि आंतरिक प्रकाश हर समय हमारे अंदर मौजूद है।

अपनी भौतिक इंद्रियों के स्तर पर जीते हुए, हम खुद को शरीर ही समझते रहते हैं और अपना ध्यान बाहरी संसार के आकर्षणों में ही केंद्रित रखते हैं – लेकिन यह भौतिक संसार अस्थाई है, जहाँ सदा-सदा की खुशियाँ और शांति कभी भी पाई नहीं जा सकतीं। जब हम अपना ध्यान बाहरी संसार से हटाकर आंतरिक रूहानी मंडलों में एकाग्र करते हैं, तभी हम सच्ची खुशी का अनुभव करते हैं।

जब हम ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक यात्रा पर जाते हैं, तो हम प्रभु के प्रकाश के साथ जुड़ जाते हैं और दिव्य प्रेम से भरपूर हो जाते हैं। हम अपने सच्चे आत्मिक स्वरूप को जान जाते हैं, और प्रभु के प्रेम का अनुभव करने से हम बाहरी मुश्किलों का सामना निडरता से कर पाते हैं। हमारा जीवन एक नया अर्थ ले लेता है, और हम अपना जीवन ऐसे जीने लगते हैं जिससे हमें शांति मिलती है और हम प्रभु के नज़दीक आते चले जाते हैं। हम सबके भीतर यह प्रकाश मौजूद है, और ध्यानाभ्यास के द्वारा हम इसका अनुभव कर सकते हैं तथा इसे दूसरों के साथ भी बाँट सकते हैं।