हमारा सुरक्षा-कवच

नवम्बर 7, 2021

जब हम अपने जीवन की ओर देखते हैं, तो हम पाते हैं कि हम दुख-दर्द की भावनाओं से घिरे रहते हैं। आज के अपने सत्संग में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने इस इंसानी दशा के बारे में बात की, और हमारे भीतर मौजूद उस सुरक्षा-कवच पर प्रकाश डाला जो हमें जीवन के दुखों के बीच भी शांति प्रदान करता है।

जो दुख-दर्द हम इस जीवन में अनुभव करते हैं, वो इसीलिए होता है क्योंकि हमारा ध्यान, जोकि हमारी आत्मा का बाहरी स्वरूप है, इस बाहरी संसार में ही केंद्रित रहता है जहाँ हलचल और दुख-दर्द के सिवा कुछ नहीं है। जो शांति और आनंद हम ढूंढ रहे हैं, वो हमें इस भौतिक संसार में कभी भी नहीं मिलेगा। वो तो आंतरिक रूहानी मंडलों में है, महाराज जी ने समझाया।

संत-महापुरुष हमें शांति के उस सरोवर तक ले जाते हैं जो हमारे भीतर ही मौजूद है। इस सरोवर तक पहुँचने के लिए, वे हमें समझाते हैं कि हम प्रभु को याद करें। हमें मन की उस ऊर्जा का इस्तेमाल करना होगा जो हमारे ध्यान को बाहरी संसार की हलचल में लगाए रखती है, और उस ऊर्जा को प्रभु की ओर मोड़ना होगा – जोकि समस्त शांति व सकारात्मकता का स्रोत हैं। जब हम प्रभु को याद करते हैं, और ध्यानाभ्यास में अपने ध्यान को तीसरी आँख पर एकाग्र करते हैं, जोकि रूहानी मंडलों का प्रवेशद्वार है, तो हमारी आत्मा इस भौतिक मंडल से ऊपर उठ जाती है और आंतरिक यात्रा पर जाकर प्रभु के प्रेम व प्रकाश के साथ जुड़ जाती है। जब हम इस यात्रा पर जाते हैं, तो हम पाते हैं कि हर कदम हमारे लिए अधिक शांति और अधिक खुशी लाता जाता है। यह खुशी और शांति हमारे साथ लंबे समय तक बनी रहती है।

ध्यानाभ्यास के द्वारा की गई प्रभु की याद, हमारे लिए इस बाहरी संसार में सुरक्षा-कवच बन जाती है। जीवन की चुनौतियों और उतार-चढ़ाव के बावजूद, प्रभु ने हम सबको यह क्षमता प्रदान की है कि हम कभी भी इस सुरक्षा-कवच का इस्तेमाल कर सकते हैं, ताकि हम बाहरी जीवन के दुखों-दर्दों का सामना कर सकें। प्रभु को याद करने से वो विचार दब जाते हैं जो हमें बाहरी संसार की ओर आकर्षित करते हैं और जो हमारा ध्यान अपनी असली उद्देश्य से भटका देते हैं।