खुशियाँ हमारी पहुँच में हैं

नवम्बर 13, 2021

हम सब खुश रहना चाहते हैं और आरामपूर्वक जीना चाहते हैं। लेकिन हम जब अपने जीवन की ओर देखते हैं, तो हम पाते हैं कि हम सांसारिक चीज़ों के मकड़जाल में ही उलझे रहते हैं, और दलदल की तरह ही, जितना अधिक हम बाहर निकलना चाहते हैं उतना ही अधिक हम फँसते चले जाते हैं। इस प्रक्रिया में, जीवन में हमें खुशी के क्षण बहुत ही कम मिलते हैं और हम समस्याओं व परेशानियों के सागर में ही घिरे रहते हैं, जो हमें अंतहीन लगता है। इसीलिए हम सोच में पड़ जाते हैं: क्या इस संसार में कभी स्थाई खुशियाँ पाई जा सकती हैं?

संत-महापुरुष इस संसार में हमें याद दिलाने के लिए आते हैं कि खुशियाँ हमारी पहुँच में है। जो चीज़ की हमें ज़रूरत है, वो है मानव जन्म को लेकर साफ़ दृष्टिकोण और सही समझ। हमें यह समझ में आना ज़रूरी है, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने फ़र्माया, कि हम एक आत्मा हैं जो इस भौतिक शरीर में निवास कर रही है। जो चीज़ हमें सच्ची खुशी दे सकती है, वो वही है जो हमारी आत्मा को खुशी देती है।

आत्मा, परमात्मा का अंश है, तथा यह युगों-युगों से प्रभु से बिछुड़ी हुई है। जब तक हम बाहरी संसार में लिप्त रहेंगे, तब तक हमारी आत्मा अपने स्रोत से जुदा ही रहेगी। जब हम प्रभु के प्रेम व प्रकाश के साथ जुड़ जाते हैं, तभी हमारी आत्मा सच्ची खुशी का अनुभव करती है। तब हमारा सम्पूर्ण जीवन खुशियों से भरपूर हो जाता है। तब तक बाहरी संसार की कोई भी सुंदरता हमें वो खुशी नहीं दे सकती जिसकी हमें तलाश है।

तो हम प्रभु के साथ कैसे जुड़ सकते हैं? ऐसा हम ध्यानाभ्यास की प्रक्रिया के द्वारा कर सकते हैं, जिसमें हम अपने ध्यान को बाहरी संसार के आकर्षणों से हटाकर उन रूहानी मंडलों में एकाग्र करते हैं जो हमारे भीतर ही मौजूद हैं। जब हम इस रूहानी यात्रा पर जाते हैं तो हमारी आत्मा, प्रभु के साथ जुड़ जाती है और पोषित होती है। उसे स्थाई खुशियों का अनुभव होता है। यह खुशी हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, और इसे हम तब पा सकते हैं जब हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में यात्रा करते हैं। तब तक ये रूहानी खज़ाने हमसे छुपे ही रहते हैं, और हम उन सच्ची व स्थाई खुशियों से अनजान रहकर ही अपना जीवन बिता देते हैं जो अंतर में हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं।