प्रभु में विश्वास करने के लिए प्रभु का अनुभव करें

दिसम्बर 12, 2021

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने आध्यात्मिक मार्ग पर तरक्की करने के लिए प्रभु का अनुभव करने के महत्त्व पर प्रकाश डाला।

हम एक वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं जिसमें हम जो कुछ भी सुनते या पढ़ते हैं, उसमें विश्वास करने के लिए हम उसका प्रमाण चाहते हैं। अध्यात्म के बारे में, और हमारी भौतिक इंद्रियों से परे के बारे में, यह बात विशेष रूप से लागू होती है। तो जब हमारी आत्मा की बात होती है, जब आत्मा की प्रभु तक पहुँचने की उड़ान की और प्रभु के संपर्क में आने की बात होती है, तो हमारे लिए इस पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है जब तक हम स्वयं इसका अनुभव न कर लें।

संत-महापुरुष हमें याद दिलाने के लिए आते हैं कि इस संसार से परे और भी संसार हैं, जो हमारे द्वारा खोजे जाने और अनुभव किए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वे हमें बताते हैं कि हम असल में आत्मा हैं। हमारी आत्मा ही है जो हमारे भौतिक शरीर को जान दे रही है। आत्मा, प्रभु का अंश है, और इसे प्रभु से बिछुड़े हुए अनेकों युग बीत चुके हैं। केवल इंसानी चोले में ही हम प्रभु के पास वापस पहुँच सकते हैं। वे हमसे कहते हैं कि हम सिर्फ़ इसे सुनकर ही सच न मान लें बल्कि इस सच का, अपने आत्मिक रूप का, और प्रभु के साथ अपने संबंध का, स्वयं अनुभव भी करें।

जिस विधि के द्वारा हम यह अनुभव कर सकते हैं, उसे ध्यानाभ्यास कहा जाता है। जब हम अपना ध्यान इस बाहरी संसार से हटाकर अंदरूनी मंडलों में एकाग्र करते हैं, तो हम प्रभु के प्रेम व प्रकाश का सीधा अनुभव प्राप्त करते हैं। इससे न केवल हमारा विश्वास ठोस होता है बल्कि प्रभु में हमारा भरोसा भी मज़बूत हो जाता है। जितना अधिक प्रभु में हमारा भरोसा मज़बूत होता जाता है, उतनी ही अधिक तेज़ी से हम प्रभु की ओर तरक्की करते जाते हैं।