जीवन केवल एक स्वप्न है

जनवरी 29, 2022

इंसान की दशा कुछ ऐसी है कि हम एक स्वप्नावस्था में जी रहे हैं। हम इस भौतिक संसार को ही अपना घर और अपना सबकुछ समझते रहते हैं। हम अपने शरीर को, जोकि भौतिक पदार्थ से बना एक वाहन मात्र है, अपना सच्चा आपा समझते रहते हैं और यह नहीं जानते हैं कि हम असल में आत्मा हैं, जोकि इस शरीर को जान देने वाली ताकत है।

हमारा ध्यान केवल बाहरी संसार के आकर्षणों की ओर ही केंद्रित रहता है, तथा हम अपना सारा समय रिश्ते बनाने में और दौलत इकट्ठी करने में ही बिता देते हैं। लेकिन यह सबकुछ अस्थाई, क्षणभंगुर और निरंतर-परिवर्तनीय है। जब हम यह संसार छोड़कर जाते हैं, तो इनमें से कुछ भी हमारे साथ नहीं जाता है।

इस बाहरी संसार की हरेक चीज़ जड़ पदार्थ से बनी है, और यह पदार्थ ऐसे कणों से बना है जो हर वक़्त चलायमान हैं। जिस तरह प्रकृति में सबकुछ हर क्षण बदल रहा है, उसी तरह हमारा जीवन भी लगातार बदल रहा है। यह बदलाव अपने साथ हलचल व तनाव ले आता है, जिसके परिणामस्वरूप हमें दुख-दर्द का एहसास होता है।

संत-महापुरुष हमें इस स्वप्नावस्था से जगाने के लिए आते हैं, ताकि हम स्थाई शांति व खुशी का अनुभव कर सकें। वे हमें याद दिलाते हैं कि यह मानव जन्म, अपने स्रोत की ओर वापस जाने की हमारी आत्मा की लंबी यात्रा में केवल एक छोटा-सा पड़ाव भर है। अभी के लिए, यह हम पर है कि हम इस धरती पर खुद को मिले समय से पूरा-पूरा लाभ उठायें, एक-दूसरे से प्रेम करें, एक-दूसरे की सेवा करें, दयालु व करुणामयी बनें, और जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना शांति के साथ करें, यह जानते हुए कि इस धरती पर हमारा जीवन अस्थाई है।

हमें ध्यानाभ्यास की तकनीक सिखाकर, संत हमें बाहरी अस्थिर संसार से ध्यान हटाकर, उसे आंतरिक रूहानी मंडलों की स्थिर सच्चाई पर टिकाने के लिए प्रेरित करते हैं। आंतरिक रूहानी यात्रा पर जाने से हम खुद को अपने असली रूप में अनुभव कर पाते हैं, जीवन के सत्य के प्रति जागृत हो उठते हैं, और प्रभु के उस प्रेम, प्रकाश व परमानंद में नहा उठते हैं जो अंतर में हमारी प्रतीक्षा कर रहा है।