“प्रेम का रूप बन जायें”: लाइल, इलिनोई, में सत्संग

दिसम्बर 17, 2019

इस शाम, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने श्रोताओं को ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में प्रभु के प्रेम का अनुभव करने के लिए प्रेरित किया।

 

प्रभु के प्रेम से अच्छा और कोई भी प्रेम नहीं है, महाराज जी ने फ़र्माया। यह प्रेम हम में से हरेक के भीतर मौजूद है, और हम में से हरेक व्यक्ति इस दिव्य प्रेम के साथ जुड़ सकता है। हमें इस प्रेम के साथ जुड़ना चाहिए, प्रेम को ग्रहण करना चाहिए, प्रेम का अनुभव करना चाहिए, और स्वयं प्रेम का रूप बन जाना चाहिए। जब हम इस अवस्था में पहुँच जाते हैं, तो हम इस प्रेम को आसपास की दुनिया में फैलाने लगते हैं। हम पाते हैं कि प्रभु के साथ हमारा संबंध रोज़ाना मज़बूत होता चला जा रहा है।