क्वीटो, इक्वाडोर, में: “ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में आध्यात्मिक धूप”

दिसम्बर 25, 2019

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज आज क्वीटो, इक्वाडोर, में पधारे – यह उनकी दक्षिण अमेरिका यात्रा, जिसमें वे 12 दिनों में चार शहरों में जायेंगे, का पहला चरण था। महाराज जी ने अपने संदेश की शुरुआत करते हुए क्वीटो में एक बार फिर आने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए महाराज जी ने त्यौहारों के मौसम का उल्लेख किया – प्यार और उपहार देने व बाँटने का मौसम।

 

कुछ देना, प्रेम को व्यक्त करने का एक तरीका होता है, और देने से ही हमारा दिल विशाल होता है, महाराज जी ने फ़र्माया। इसी प्रकार, जब हम प्रेम देते हैं, तो उससे ज़्यादा प्रेम हमें वापस मिलता है, क्योंकि प्रेम ही ऐसी चीज़ है जो देने से बढ़ती है।

 

सदाबहार पेड़ों का उदाहरण देते हुए संत राजिन्दर सिंह जी ने समझाया कि हमें किस प्रकार का जीवन जीना चाहिए अगर हमें प्रभु की दी हुई सबसे बड़ी देन से लाभ उठाना है। यह देन है प्रभु को जानना, प्रभु से प्रेम करना, और प्रभु से एकमेक होने का मौका मिलना। उन्होंने श्रोताओं को प्रेरित किया कि वे इस उपहार से पूरा-पूरा लाभ उठायें और एक-दूसरे के साथ के साथ प्यार से मिल-जुलकर रहें।

 

हमारे अंदर प्रभु के प्रेम की सुखद धूप मौजूद है, उन्होंने फ़र्माया, जो हमें बाहरी सर्दी के बावजूद अंदर से गर्म रखती है। अब यह हम पर है कि हम इस धूप का अनुभव करें, और ऐसा हम तभी कर सकते हैं जब हम मौन अवस्था में बैठकर ध्यानाभ्यास करें।

 

ध्यानाभ्यास के द्वारा हम अपनी आत्मा पर पड़ी मन, माया, और भ्रम की उन पर्तों को उतार सकते हैं जो इसे ख़ुद को जानने से रोकती हैं। इस क्रिसमस त्यौहार के अवसर पर, महाराज जी ने फ़र्माया, आइए हम याद रखें कि बाहरी रोशनियाँ हमारी आंतरिक रोशनियों का ही प्रतीक हैं। आइए हम अपनी आंतरिक रोशनियों का अनुभव करें, प्रभु के प्रेम के साथ जुड़ें, और इस मानव जीवन के उच्चतम उद्देश्य को पूरा करें।