“आंतरिक मंडलों के प्रकाश और प्रेम का अनुभव करें”: क्वीटो, इक्वाडोर, में सत्संग

दिसम्बर 26, 2019

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने आज क्वीटो में पहला सार्वजनिक सत्संग फ़र्माया। इस सत्संग को सुनने के लिए करीब दो हज़ार लोग एकत्रित हुए, तथा सैलॉन लॉस शिरिस बॉलरूम में और नीचे के हॉल में भर गए।

 

सत्संग से पूर्व संत राजिन्दर सिंह जी की पत्नी, माता रीटा जी, ने धर्मग्रंथों से एक शबद का गायन प्रस्तुत किया। इस शबद में बताया गया था कि कैसे प्रभु का प्रकाश प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में जगमगा रहा है, और यह कि किस प्रकार सभी जीव प्रभु की रक्षा और संभाल चाहते हैं। अपने सत्संग में, जिसे स्पैनिश भाषा में अनुवादित भी किया जा रहा था, महाराज जी ने इस शबद की व्याख्या की, और समझाया कि अंतर में प्रभु के प्रकाश को अनुभव करने का क्या महत्त्व है।

 

क्वीटो भूमध्यरेखा पर टिका है, जहाँ पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध मिलते हैं, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया। यहाँ हमारे पास दोनों में से किसी भी गोलार्द्ध में जाने की सहूलियत है। जब हम इस संसार में जीवन की ओर देखते हैं, तो भी हमें दो गोलार्द्ध देखने को मिलते हैं – एक है बाहरी गोलार्द्ध, जो है यह भौतिक संसार जिसमें हम जी रहे हैं, और दूसरा है आंतरिक गोलार्द्ध, जो है वो रूहानी मंडल जो हमारे अंतर में हैं। रूहानी मंडल प्रतीक्षा कर रहे हैं कि हम उनका अनुभव करें।

 

जब हम अपने ध्यान को बाहरी संसार से हटाकर अपनी आध्यात्मिक आँख पर केंद्रित कर देते हैं, जोकि बाहरी और आंतरिक मंडलों में आने-जाने का साधन है, तो हम आंतरिक मंडलों के प्रकाश व प्रेम का अनुभव कर पाते हैं। यह प्रेम और प्रकाश हमारे सारे अंधकार को मिटा देता है और हमें रोशन कर देता है। इस प्रकाश में हमारा दृष्टिकोण साफ़ हो जाता है और हम अपने स्रोत, प्रभु, के पास वापस जाने वाले मार्ग पर चल पड़ते हैं। इस सबकी शुरुआत होती है ध्यानाभ्यास से, महाराज जी ने फ़र्माया।