बोगोटा में सत्संग: अंतर में बिना-शर्त प्रेम हमारी प्रतीक्षा कर रहा है

दिसम्बर 29, 2019

इस दोपहर, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने बोगोटा के एक कैथोलिक शैक्षिक समुदाय, कोलेजियो सैन्स फ़ैकॉन, में सार्वजनिक सत्संग फ़र्माया। हम पूरी ज़िंदगी, महाराज जी ने फ़र्माया, हम पूरी ज़िंदगी प्रेम के लिए तड़पते रहते हैं। बचपन में, युवावस्था में, और वयस्क होने पर, हम अपने संबंधों में प्यार की तलाश करते रहते हैं; ऐसा प्रेम जो बिना-शर्त हो और जो समय के साथ फीका न पड़े।

 

जब हम सांसारिक प्रेम के अस्थाई स्वभाव को देखते हैं, तो हम सोचने लगते हैं कि क्या सच्चा, अनंत प्रेम होता भी है? अगर होता है, तो हम उसे कैसे पा सकते हैं? संत-महापुरुष प्रभु के प्रेम के बारे में बताते हैं, जो बिना-शर्त और बेअंत है, और जिसे हम अपने अंतर में अनुभव कर सकते हैं, महाराज जी ने समझाया। प्रभु के दो प्रमुख व्यक्त स्वरूप, ज्योति और श्रुति, संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त हैं, और इसी दिव्य सत्ता के साथ हमें जुड़ना है।

 

ऐसा करने के लिए, हमें अपने ध्यान को बाहरी संसार से हटाना होगा, और उसे आंतरिक मंडलों के प्रवेशद्वार पर केंद्रित करना होगा। यह प्रवेशद्वार है हमारी भौंहों के पीछे और मध्य में स्थित हमारी अंदरूनी आँख। ध्यानाभ्यास की तकनीक के द्वारा हम आध्यात्मिक यात्रा पर जा पाते हैं, जो प्रेम और प्रकाश की यात्रा है, जिसमें हम अपने आप के प्रति अधिक चेतन होते चले जाते हैं और प्रभु का प्रेम हमारे रोम-रोम में समा जाता है। प्रभु-प्रेम का यह अनुभव हमें सदा-सदा रहने वाली ख़ुशियाँ प्रदान करता है।