काली में कार्यक्रम: “अपने सभी भार प्रभु को सौंप दें”
इस शाम संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने कोलिसियो इवान्जालिस्टा मोरा में सार्वजनिक सत्संग फ़र्माया, जो काली के सैन फ़र्नान्डो स्पोर्ट्स यूनिट का एक भाग है। इस स्टेडियम, जिसमें लगभग 5000 लोग आ सकते हैं, का निर्माण 1954 में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए किया गया था, जोकि इस देश की सबसे बड़ी खेलकूद प्रतियोगिता है। महाराज जी के स्टेडियम में प्रवेश करते ही तालियों की ज़ोरदार गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया गया।
काली, दक्षिणी अमेरिका, और विश्व के विभिन्न भागों से आए श्रोताओं को संबोधित करते हुए संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया कि अलग-अलग भाषाओं, संस्कृतियों, और राष्ट्रीयताओं के बावजूद, असल में हम सभी प्रभु के एक ही परिवार के सदस्य हैं। ये प्रभु का प्रेम ही है जो हम सबको आपस में जोड़ता है। अगर हम जीवन में से गुज़रते हुए इस सच्चाई को जान जायें, तो हमारी सारी चिंताएँ मिट जायेंगी। हम चिंता तभी करते हैं जब हम इस बात को लेकर दुविधा में होते हैं कि भविष्य में क्या होगा। हम चिंता इसीलिए करते हैं क्योंकि प्रभु में हमारा विश्वास पक्का नहीं है, उन्होंने फ़र्माया।
प्रभु में विश्वास करने के लिए हमें प्रभु का अनुभव करना ज़रूरी है। हमें अपने अंदर मौजूद प्रभु के प्रेम के साथ जुड़ना चाहिए, ताकि हम हर समय प्रभु की उपस्थिति को अपने जीवन में महसूस कर सकें। ऐसा तब होता है जब हम अपने ध्यान को, जोकि हमारी आत्मा का बाहरी व्यक्त स्वरूप है, बाहरी संसार से हटाकर आंतरिक रूहानी मंडलों के प्रवेशद्वार, यानी अपनी अंदरूनी आँख, पर केंद्रित करते हैं। अंतर्मुख होने की इसी विधि को ध्यानाभ्यास कहते हैं। जब हम स्वयं प्रभु का अनुभव कर लेते हैं, तो प्रभु में हमारा विश्वास भी दृढ़ हो जाता है। हम सारी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं और अपना समस्त भार प्रभु को दे देते हैं, यह जानते हुए कि प्रभु हमें वही देंगे जो हमारे लिए बेहतर होगा, उन्होंने फ़र्माया। तब हमारा जीवन संतुष्टि, ख़ुशी और संतुलन से भरपूर हो जाता है, क्योंकि हमें भरोसा होता है कि प्रभु हर समय हमारी देखभाल कर रहे हैं।