प्रभु अंतर में हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं: दिल्ली में सत्संग

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने इस शाम कृपाल बाग़ में अपना रविवारीय सत्संग फ़र्माया। उनके सत्संग का विषय था कि हम प्रभु की तलाश कहाँ करें।
शायर-संत, संत दर्शन सिंह जी महाराज, के कुछ शेअरों की व्याख्या करते हुए महाराज जी ने समझाया कि हमें इस मानव चोले में आने का अवसर इसीलिए दिया गया है ताकि हम प्रभु को पा सकें। हम बाहरी दुनिया में प्रभु को पाने में असफल रहते हैं, क्योंकि प्रभु तो हमारे अंदर ही छुपे बैठे हैं। प्रभु को हम इस मानव शरीर रूपी मंदिर के अंदर ही पा सकते हैं।
जब हम शांत अवस्था में बैठकर अपने अंतर में ध्यान टिकाते हैं, तो हम प्रभु की दिव्य ज्योति व श्रुति के साथ जुड़ जाते हैं। प्रभु की इस सत्ता के साथ जुड़ने से हम प्रेम, प्रकाश, और आनंद से भरपूर हो जाते हैं, तथा जीवन के रहस्य हमारे सामने खुलने शुरू हो जाते हैं।
जब हम यह जान जाते हैं कि प्रभु चाहते हैं कि हम प्रभु के प्रेम से भरपूर एक आनंदपूर्ण जीवन जियें, तो हम इंद्रियों के जीवन के भ्रम और उलझनों से जाग उठते हैं, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया। तब हम सुंदरता और प्रेम से भरपूर रूहानी मंडलों में उठ जाते हैं। इसकी कुंजी है अपने ध्यान को अंतर में एकाग्र करना। एक पूर्ण सत्गुरु की मदद और मार्गदर्शन से हम ध्यानाभ्यास की तकनीक सीख पाते हैं और इस यात्रा पर तरक्की कर पाते हैं।