“ध्यानाभ्यास के द्वारा सही समझ का विकास” – उल्हासनगर, महाराष्ट्र, में कार्यक्रम

इस दोपहर, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज पुन: उल्हासनगर के रीजैन्सी एैन्टीलिया ग्राउन्ड में सार्वजनिक सत्संग के लिए पधारे। अपने सत्संग में महाराज जी ने समझाया कि हमें अपने जीवन के उद्देश्य को जानना चाहिए और यह भी बताया कि हम इस उद्देश्य को कैसे पूरा कर सकते हैं।
हम इंद्रियों के स्तर पर एक स्वप्नावस्था में ही जीते रहते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया। हमारा सारा अमूल्य समय बाहरी दुनिया के ज्ञान को एकत्रित करने में ही निकल जाता है। हम इस भौतिक संसार को ही सबकुछ समझते रहते हैं, और हर समय अपने शरीर व मन की इच्छाओं व ज़रूरतों को पूरा करने में ही लगे रहते हैं। संतों-महापुरुषों की शिक्षाओं के द्वारा ही हमें पता चलता है कि यह संसार हमारा सच्चा घर नहीं है, और यह कि हम वास्तव में शरीर या मन नहीं हैं।
संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया कि ध्यानाभ्यास के द्वारा हम जान जाते हैं कि इस मानव चोले का सच्चा उद्देश्य है अपने आपको आत्मा के रूप में पहचानना और प्रभु को पाना। जब हम अंतर में प्रभु की दिव्य ज्योति व श्रुति के साथ जुड़ जाते हैं, तो हम प्रभु के प्रेम का और अंदरूनी मंडलों की सुंदरता का अनुभव करने लगते हैं। हम यह भी जान जाते हैं कि हमारे अंदर मौजूद प्रभु की सत्ता दूसरों के अंदर भी काम कर रही है। तब हम सभी को अपना ही मानने लगते हैं, और हमारे अहंकार द्वारा बनाई गई द्वैत की दीवारें टूट जाती हैं। हम अपने चेहरे पर मुस्कान लिए हुए जीने लगते हैं, क्योंकि हम इस जानकारी के साथ निडर होकर जीने लगते हैं कि प्रभु हर क्षण हमारे साथ हैं।