स्थाई ख़ुशियों की कुंजी

जून 14, 2020

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने दसवें “ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस” (विश्व में अपने-अपने स्थान पर ध्यानाभ्यास करें) की अध्यक्षता की – इस ऑनलाइन कार्यक्रम के द्वारा विश्व भर के हज़ारों जिज्ञासु मानवता के उत्थान के लिए एक समय में अपनी-अपनी जगहों पर ध्यानाभ्यास करते हैं। अपनी भौतिक इंद्रियों के स्तर पर जीते हुए, महाराज जी ने फ़र्माया, और इस क्षणभंगुर बाहरी संसार में ही स्थाई ख़ुशियों की तलाश करते रहते हैं। हम भूलवश यह मानते रहते हैं कि हम शरीर और मन हैं, जबकि असल में हम आत्मा हैं, परमात्मा का अंश हैं, प्रभु के प्रेम और प्रकाश से भरपूर हैं। जब तक हम अपने असली आपे को और अपनी आत्मा के गुणों को पहचान नहीं जायेंगे, और जब तक हमारी आत्मा अपने स्रोत से दूर रहेगी, तब तक हम दर्द का अनुभव करते रहेंगे, और स्थाई ख़ुशियों को नहीं पा सकेंगे।

सच्ची ख़ुशियाँ पाने की कुंजी है, महाराज जी ने फ़र्माया, अपने ध्यान को बाहरी संसार से हटाना और उसे अंतर में प्रभु के प्रेम पर केंद्रित करना। प्रभु अनंत और अविनाशी हैं, और अविनाशी चीज़ से जुड़ने से हमें सदा-सदा की ख़ुशियाँ मिल जाती हैं। जब हम स्वयं प्रभु का अनुभव कर लेते हैं, तो प्रभु में हमारा विश्वास दृढ़ हो जाता है। इस विश्वास के साथ ही हमें भरोसा हो जाता है कि जो कुछ भी हमारे जीवन में हो रहा है, वो प्रभु की रज़ा में ही हो रहा है और यह दृष्टिकोण पैदा हो जाने से हम जीवन के तूफ़ानों का सामना आसानी से कर पाते हैं। साथ ही, यह अनुभव हमें हमारे सच्चे आत्मिक स्वरूप को पहचानने में मदद करता है, और हम जान जाते हैं कि हम एक-दूसरे से अलग नहीं हैं – हम सब एक ही हैं और एक ही प्रभु का प्रकाश हम सबके भीतर जगमगा रहा है। धीरे-धीरे हमारे आसपास बनी दीवारें और रुकावटें ढह जाती हैं, और हम सभी को अपना ही मानकर गले से लगा लेते हैं।