सबसे पहले, प्रभु से प्रेम करें

फ़रवरी 20, 2022

यह जीवन हमें एक ख़ास मकसद के लिए दिया गया है। जीवन के अंत में जो चीज़ महत्त्वपूर्ण होगी वो यह नहीं कि हमने कितनी दौलत इकट्ठा की है, या हमने कितनी शोहरत हासिल की है, या हमने कितनी समस्याओं को सुलझाया है, या हमने कितनी चुनौतियों पर विजय पाई है। जो चीज़ महत्त्वपूर्ण होगी, वो यह कि हमने अपना जीवन कैसे जिया था। क्या हम जीवन को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखते थे? क्या हमने अपने आसपास के लोगों को खुशियाँ बाँटी थीं? क्या हमने दूसरों की सहायता की थी? क्या हमने दूसरों के दुख-दर्द में हाथ बँटाया था? क्या हमने दूसरों को उनके अंदर की अच्छाई देखने में मदद की थी? और सबसे महत्त्वपूर्ण, क्या हम प्रेम करते थे?

जीवन को असल में जैसे बिताना चाहिए, वैसे बिताने के लिए हमें पहले प्रेम का अनुभव करना होगा। प्रेम से ही समस्त अच्छाई का जन्म होता है, और जब हम प्रेम करते हैं, तो शांति, सौहार्द और खुशियाँ अपने आप ही चली आती हैं। सबसे सच्चा प्रेम हमारे भीतर ही निवास करता है। ये है प्रभु का प्रेम, उस सृष्टिकर्ता का प्रेम जिसने इस समस्त सृष्टि की रचना की है। प्रभु हमसे बेहद प्रेम करते हैं, लेकिन हम इस प्रेम का अनुभव नहीं कर पाते हैं क्योंकि हमारा ध्यान बाहरी संसार के आकर्षणों में ही लगा रहता है। ध्यानाभ्यास के द्वारा जब हम अपने ध्यान को बाहर से हटाकर अंतर में एकाग्र करते हैं, तो हम प्रभु-प्रेम की खुशियों का अनुभव करते हैं। जब हम इस दिव्य प्रेम का अनुभव करते हैं, तो हम स्वयं प्रेम का रूप बन जाते हैं। हम सभी जीवों के साथ अपने आंतरिक संबंध को महसूस करने लगते हैं, और जान जाते हैं कि हरेक जीव हमारा ही अंग है। हम अपने साथी इंसानों की सेवा में जुट जाते हैं।

प्रभु का प्रेम हमें नैतिक बना देता है और हमारे जीवन में सद्गुण भर जाते हैं। सच्चाई, अहिंसा, करुणा, और नम्रता हमारे जीवन का अंग बन जाते हैं। प्रभु की बनाई समस्त सृष्टि को गले लगाने से हमारा अहंकार भी खत्म हो जाता है। जब हम प्रभु के प्रेम का अनुभव करने लगते हैं, तो हम उस प्रेम को अपने आसपास के लोगों में भी फैलाने लगते हैं। फिर वो प्रेम हमारे पास वापस आता है जब दूसरे भी उसे हमारी ओर वापस भेजते हैं।

जब प्रेम हमारे जीवन का आधार बन जाता है, तो हम अपना जीवन वैसे ही जीने लगते हैं जैसे हमें जीना चाहिए, महाराज जी ने फ़र्माया। तब हमारा जीवन शांत, आनंदपूर्ण, और परिपूर्ण बन जाता है, तथा हम प्रभु की ओर तेज़ी से तरक्की करते जाते हैं।