एक-एक कदम करके

रूहानियत केवल संतों-महात्माओं तक ही सीमित नहीं है। यह एक विज्ञान है जो हम में से हरेक के लिए उपलब्ध है, क्योंकि हम सब प्रभु की संतान हैं और प्रभु को जानना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने समझाया कि हम आध्यात्मिक मार्ग पर कैसे तरक्की कर सकते हैं।
जब हम आध्यात्मिक तलाश पर निकलते हैं, तो हम धीरे-धीरे यह जान जाते हैं कि हम अपने शरीर, मन, और भावनाओं से कहीं अधिक हैं। हम जान जाते हैं कि हम आत्मा हैं, प्रभु का वो अंश हैं जो इस भौतिक पदार्थ से बने शरीर के अंदर मौजूद है। हमारी आत्मा ही है जो इस शरीर को जान दे रही है। जब हम इस सच्चाई को जान जाते हैं, तो हमारे अंदर अपने सच्चे घर वापस जाने की गहरी तड़प जाग उठती है और हमारी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत हो जाती है।
इस यात्रा पर हम कई उतार-चढ़ाव का सामना भी करते हैं। जब हम सद्गुणों से भरपूर जीवन जीते हैं, जब हम प्रभु की बनाई सृष्टि की एकता को महसूस करने लगते हैं और सभी को अपना ही अंग मानने लगते हैं, जब हम निस्वार्थ भाव से एक-दूसरे की सेवा करते हैं और एक-दूसरे का दुख-दर्द बाँटते हैं, तो हम अपनी मंज़िल के अधिक करीब पहुँचते जाते हैं। इस यात्रा में कई बार हमें असफलताओं का सामना भी करना पड़ता है। लेकिन हमें इन असफलताओं के कारण अपने लक्ष्य से ध्यान नहीं हटाना चाहिए।
इस संसार की किसी भी अन्य यात्रा की तरह ही, आध्यात्मिक यात्रा को भी तभी पूरा किया जा सकता है जब हम दृढ़-निश्चय और लगन के साथ धीरे-धीरे, एक-एक कदम करके, आगे बढ़ें। यह ज़रूरी है, महाराज जी ने समझाया, कि हम हर दिन पूरी ईमानदारी के साथ प्रयास करें और परिणाम को प्रभु के हाथों में छोड़ दें।