वर्तमान का उपहार

आज के लाइव वैश्विक प्रसारण में, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने समय की प्रकृति पर प्रकाश डाला, तथा समझाया कि हम कैसे ख़ुद को मिले समय का सर्वोत्तम लाभ उठा सकते हैं। समय के तीन भाग होते हैं, महाराज जी ने समझाया: अतीत, वर्तमान और भविष्य। अगर हम अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा करना चाहते हैं, तो यह ज़रूरी है कि हम वर्तमान में जियें; हमें अतीत को याद नहीं करना चाहिए और भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए।
महाराज जी ने आगे समझाया कि अतीत को बदला नहीं जा सकता है। अतीत में जीने से हम अपने पुराने ज़ख्मों को कुरेदते रहते हैं, जिससे हम न भूल पाते हैं, न माफ़ कर पाते हैं, और न ही आगे बढ़ पाते हैं। इससे हमारे वर्तमान जीवन में हलचल और ज़्यादा बढ़ जाती है। इसी तरह जब हम भविष्य की ओर ध्यान देते रहते हैं, तो हम आने वाले समय की अनिश्चितताओं से घिरे रहते हैं। चिंताओं से भरपूर होने पर, हम अपने अधिकतर जागते हुए लम्हे भविष्य की योजनाएँ बनाने में और भविष्य की कल्पनाएँ करने में ही बिता देते हैं, और इस सबके बीच हमारा वर्तमान क्षण भी ज़ाया हो जाता है।
हमें अपना ध्यान वर्तमान की ओर लगाने की ज़रूरत है, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया। इसे अंग्रेज़ी भाषा में ‘प्रेज़ेंट’ इसीलिए कहते हैं क्योंकि यह एक उपहार है; यह प्रभु की ओर से हमें दिया गया उपहार है, जिससे लाभ उठाकर हम उस उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं जिसके लिए हम सब यहाँ पर आए हैं। जब हम वर्तमान क्षण का फ़ायदा उठाते हुए ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हम प्रभु की नज़दीकी पाने की ओर ध्यान लगाते हैं। प्रभु चाहते हैं कि हम प्रभु को जानें, प्रभु को अनुभव करें, और उनकी पुकार को सुनकर अपने सच्चे घर वापस लौट जायें। जब हम वर्तमान क्षण में जीते हैं, तो हम इस सुनहरे अवसर से पूरा-पूरा लाभ उठा पाते हैं।