चिंता से मुक्ति पायें

आज कई हज़ार श्रद्धालुओं ने संत राजिन्दर सिंह जी महाराज की अध्यक्षता में 12वें ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस में भाग लिया। यू.एस. स्वतंत्रता दिवस के सप्ताहाँत के मौके पर वैश्विक श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए महाराज जी ने समझाया कि हम चिंता से मुक्ति कैसे पा सकते हैं।
यह इंसानी स्वभाव है कि हम अपने अतीत, वर्तमान, या भविष्य के बारे में, या अपने रिश्तों के बारे में, आर्थिक हालात के बारे में, या अन्य दुनियावी चीज़ों के बारे में चिंता करते रहते हैं। चिंता भरे विचार हमारे मन से पैदा होते हैं और हमें इस संसार में फँसाए रखते हैं, और हमारे ध्यान को अपने आध्यात्मिक लक्ष्य से हटा देते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया। हम चिंता तब करते हैं जब हमें प्रभु में पूरा विश्वास नहीं होता है।
संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया कि ध्यानाभ्यास के द्वारा हम चिंता से मुक्ति पा सकते हैं। जब हम अपने ध्यान को अपनी तीसरी आँख – आंतरिक मंडलों का प्रवेशद्वार – पर केंद्रित करते हैं, तो हमारी आत्मा आंतरिक आध्यात्मिक यात्रा पर चल पड़ती है तथा प्रभु के प्रेम, प्रकाश और आनंद का अनुभव करने लगती है। जब हम स्वयं प्रभु के प्रेम का अनुभव कर लेते हैं, तो हम जान जाते हैं कि प्रभु सदा हमारे साथ रहते हैं, और हर कदम पर हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। हम देखने लगते हैं कि जीवन में कुछ भी आकस्मिक नहीं है। जब हमारा विश्वास मज़बूत हो जाता है, तो चिंता हमें हमारे जीवन के उच्चतम लक्ष्य – अपनी आत्मा का परमात्मा में मिलाप – से भटका नहीं पाती है।