अध्यात्म के बीज को पोषित करें

नवम्बर 21, 2020

आज के अपने वेब प्रसारण में, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने आध्यात्मिक मार्ग पर तरक्की करने के लिए निरंतर प्रयास और गहरी लगन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। महाराज जी ने उन सभी चीज़ों के बारे में बताया जो अध्यात्म के बीज के पनपने और फूलने-फलने के लिए आवश्यक होती हैं।

यह इंसानी स्वभाव है कि हम अपने आध्यात्मिक प्रयास में रातोंरात ही सफलता चाहते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया। लेकिन किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह ही अध्यात्म में भी फल पाने के लिए लगातार प्रयास और धैर्य की ज़रूरत होती है।

एक रोचक कहानी की मदद से संत राजिन्दर सिंह जी ने समझाया कि कैसे हम निरंतर प्रयास से इतना अधिक फल पा सकते हैं जितना हमने कभी सोचा भी नहीं होता। आध्यात्मिक ख़ज़ानों की भरपूर फसल को प्राप्त करने के लिए ज़रूरी है नैतिक मूल्यों की उपजाऊ ज़मीन, प्रभु-प्रेम का पोषणदायी पानी, और प्रभु-कृपा की हवा – इसी के साथ, हमें अध्यात्म के बीज को ध्यानाभ्यास के द्वारा रोज़ाना प्रभु के प्रकाश का पोषण देना चाहिए।

प्रेम, करुणा, अहिंसा, सच्चाई, और निष्काम सेवा के नैतिक सद्गुण हमारी आत्मा के लिए आध्यात्मिक यात्रा पर जाने की नींव प्रदान करते हैं। जिस तरह हवा अदृश्य होकर भी हर समय हमें घेरे रहती है, उसी तरह प्रभु का प्रेम और कृपा हर वक़्त हमें घेरे रहती है। उसे हम तभी महसूस कर पाते हैं जब हम प्रभु में दृढ़ विश्वास रखते हैं। प्रतिदिन ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में प्रभु की ज्योति व श्रुति के साथ जुड़ने से हमारी आत्मा प्रभु के पास वापस जाने के लिए पोषित व सशक्त होती है।