एकता और करुणा का आह्वान

नवम्बर 22, 2020

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के साथ 29वें ग्लोबल मेडिटेशन इन प्लेस में भाग लेने के लिए हज़ारों लोग ऑनलाइन एकत्रित हुए। आज जबकि संसार भर में महामारी से रिकॉर्ड संख्या में लोग प्रभावित हो रहे हैं, तो महाराज जी ने हमारे सामने मौजूद इस बड़ी चुनौती का सामना करने के लिए वैश्विक एकता और करुणा के विकास पर ज़ोर दिया।

हम सभी एक बहुत मुश्किल वक़्त से गुज़र रहे हैं, महाराज जी ने फ़र्माया। इस महामारी ने दुनिया भर में लाखों लोगों को तकलीफ़ पहुँचाई है। जब हम किसी ऐसी चुनौती का सामना करते हैं जिससे अनेकों लोग प्रभावित होते हैं, तो उसके समाधान में भी अनेकों लोग शामिल होने चाहियें। हम अकेले ही, या कोई एक शहर, या राज्य, या देश, इस वायरस का समाधान नहीं ढूंढ सकता है। इसके लिए हमें एकजुट होने और करुणा के साथ इस परिस्थिति से निपटने की ज़रूरत है। हमें सामाजिक दूरी बनाए रखने के वैज्ञानिक निर्देश का भी पालन करना चाहिए, ताकि इस वायरस के प्रसार को काबू में लाया जा सके।

हम में से हरेक को स्पष्ट तरीके से सोचना होगा और इस तरीके से कार्य करना होगा कि स्थिति में सुधार आए। इस वक़्त हम सभी को दयालु होने की आवश्यकता है, महाराज जी ने समझाया, ताकि हम उनकी भी मदद कर सकें जिन्हें हम जानते नहीं हैं। दयालुता हमारे अंदर से आनी चाहिए। यह प्रभु का उपहार है। इस स्थिति में हमारा दिल बड़ा हो जाता है और हम हर अवसर पर दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं, चाहे वो हमारे परिवारजन हों, दोस्त हों, या अजनबी हों।

ऐसी अवस्था में आने के लिए जहाँ हम दूसरों की मदद करना चाहें, हमें पहले ऐसी अवस्था में आना होगा जहाँ हम ख़ुद को दूसरों से जुड़ा हुआ अनुभव करें, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया। यह अनुभव करने के लिए हमें ध्यानाभ्यास करना होगा। जब हम जब हम अंतर में प्रभु के प्रकाश का अनुभव कर लेते हैं, तो हम जान जाते हैं कि प्रभु का वही प्रकाश दूसरों के अंदर भी है, और हम सब प्रभु के ज़रिए एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। यह जानकर हम सभी को अपना ही मानकर गले से लगा लेते हैं, और हम अपनी यात्रा में उस अवस्था पर पहुँच जाते हैं जब हम सबके लिए प्रेमपूर्ण, करुणामयी, और दयालु हो जाते हैं।