उदारता की भावना

दिसम्बर 6, 2020

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने दिसम्बर महीने के साथ संबंधित उदारता की भावना पर सत्संग फ़र्माया, तथा समझाया कि हम कैसे अपने अंतर में प्रभु का अनुभव करके उदारता को अपने जीवन में ढाल सकते हैं। यह देने का और एक-दूसरे की देखभाल करने का महीना है; देने से ही हम पाते हैं। क्योंकि जब हम देते हैं, तो हम प्रभु की दया पाते हैं। आइए हम जीवन में लेना नहीं बल्कि देना सीखें। आइए हम प्रभु की दया को दूसरों के साथ बाँटने का माध्यम बन जायें, महाराज जी ने फ़र्माया।

हम अपना जीवन उदारता के साथ कैसे बिता सकते हैं, यह समझाते हुए महाराज जी ने फ़र्माया कि हम तभी देते हैं जब हम पर्वाह करते हैं। और हम पर्वाह तभी करते हैं जब हम यह जान जायें कि हरेक हमारा ही अंग है। यह एहसास हमें तब होता है जब हम ध्यानाभ्यास के द्वारा प्रभु के साथ अपने संबंध का अनुभव कर लेते हैं।

ध्यानाभ्यास में हम अपने सच्चे आत्मिक स्वरूप को जान जाते हैं, तथा दिव्य ज्योति व श्रुति के रूप में प्रभु की सत्ता का अनुभव कर पाते हैं। हम ख़ुशी व आनंद से भरपूर मंडलों में पहुँच जाते हैं। जब हम यह जान जाते हैं कि वही दिव्य सत्ता दूसरों के अंदर भी है, तो हम अपने आप ही समझ जाते हैं कि हम सब एक हैं; कि हम सब प्रभु के द्वारा एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। तब हर कोई हमारा अपना बन जाता है। जब हम इस अवस्था में पहुँच जाते हैं, संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया, तो हम अपने आप ही दूसरों के प्रति उदार बन जाते हैं और सबकी पर्वाह करने लगते हैं, चाहे हम उन्हें जानते हों या न जानते हों।