सकारात्मक रवैया अपनायें: हाँ, हम कर सकते हैं!

दिसम्बर 13, 2020

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने आशा के विषय पर सत्संग फ़र्माया, तथा रोज़मर्रा के जीवन में और आध्यात्मिक मार्ग में सकारात्मक रवैया अपनाने के महत्त्व पर प्रकाश डाला। यह हम में से हरेक पर है कि हम जीवन में आशावादी रवैया रखें, जिसमें हम सकारात्मक बने रहें और संभावनाओं के प्रति खुले रहें, या हम निराशावादी रवैया रखें, जिसमें हम चिंता, संशय और नकारात्मकता से भरे रहें। हम या तो चीज़ों के अच्छे पक्ष की ओर देख सकते हैं या बुरे पक्ष की ओर। जीवन से गुज़रते हुए हमें इन शब्दों को अपनाना चाहिए कि “हाँ, हम कर सकते हैं!”, महाराज जी ने फ़र्माया।

जब हम आशा से भरपूर रवैया रखते हैं, तो हम अपनी आत्मा के एक गुण को अपनाते हैं। हमारी आत्मा, प्रभु का अंश है और क्योंकि प्रभु समस्त आशा का स्रोत हैं, इसीलिए यह गुण हमारे अंदर भी है। आध्यात्मिक मार्ग पर, महाराज जी ने समझाया, हमें आशा रखनी चाहिए कि हम प्रभु का अनुभव अवश्य कर सकते हैं और उस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। निराशा ही हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि प्रभु हमारी पहुँच से परे हैं, और इसीलिए हम पहला कदम उठाने से ही घबराने लगते हैं क्योंकि हमें लगता है कि हम उन्हें पा ही नहीं सकेंगे। लेकिन जब हम आशा के साथ आगे बढ़ते हैं, तो हमारे लक्ष्य को पाने के दरवाज़े हमारे सामने खुल जाते हैं, महाराज जी ने फ़र्माया। हमें आशावादी बने रहना चाहिए और ध्यानाभ्यास के द्वारा प्रभु की ओर कदम बढ़ाने चाहियें।